-न्यूजलॉन्ड्री, राष्ट्रीय राजधानी में काम के अवसरों पर ताला लगते ही मजदूरों की बड़ी संख्या वापस अपने गांव-कस्बों में पहुंच चुकी है. लेकिन कुछ ऐसे भी मजदूर परिवार थे जो पुलिसिया सख्ती के कारण दिल्ली की सीमा को भेद नहीं पाए. आखिर यह सभी कहां हैं और कोरोना विषाणु से भयभीत इस दुनिया में उनके लिए क्या इंतजाम हो पाए हैं? "सर, यह रैनबसेरा काट रहा है? दो दिन हो गए. घर-परिवार...
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सरकार जानती है, मजदूर बुरा नहीं मानते। लौट कर आएंगे, और कहां जाएंगे!
-जनपथ, श्रम, उत्पादन और निर्माण की प्रमुख धुरी है. श्रमिकों के बगैर इस दुनिया के गढ़े जाने की कल्पना नहीं की जा सकती. बावजूद इसके, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक हाशिये पर हैं. हर आने वाली सरकार ने श्रम कानूनों को लघु से लघुतर बनाया है. कार्यस्थलों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में दुर्घटनाओं में मजदूरों का मरना बदस्तूर जारी है. बुनियादी सुविधाओं की मांग, हड़ताल, यूनियन, सब जैसे बीते जमाने की बातें...
More »कभी घर-घर सर्वे, कभी थोड़ी जासूसी, कभी ढोलक की थाप: कौन हैं ये गुमनाम "कोरोना वॉरियर्स", महामारी से लड़ती हुई ये दस लाख की पैदल सेना ?
-गांव कनेक्शन, खबर पक्की थी। फोन गुपचुप आया था, "दीदी हमारे पड़ोस में बंबई से आये हैं।" उत्तर प्रदेश के अटेसुआ गाँव में शहर से वापस आये मजदूरों को कायदे से 14 दिन के लिए क्वारंटाइन होना था, लेकिन ग्राम प्रधान ने उनके तुरंत आने पर ऐसा नहीं करवाया था। गाँव की आशा कार्यकर्ता कुसुम सिंह (48) को पता था कि अगर प्रधान पर उन्होंने सीधे ऊँगली उठाई तो उनका विरोध...
More »नोएडा के दिहाड़ी मजदूर: ‘‘सरकारी खाना मिल जाता है तो खाते हैं, नहीं तो उपवास’’
-न्यूजलॉन्ड्री, नोएडा सेक्टर पांच के लेबर चौक के पास अपने कुछ साथियों के साथ बैठे 55 साल के सर्वेश पाण्डेय मेरे सवाल करने से पहले पूछते हैं, ‘‘बेटा ये बताओ इलाहाबाद के लिए बसें कब से चलेंगी? 15 अप्रैल के बाद घर जा सकते हैं?’’ दोपहर के ग्यारह बज रहे थे जब हम सर्वेश से मिले. एक दिन पहले नोएडा प्रशासन द्वारा सेक्टर आठ से तीन सौ की संख्या में कोरोना संदिग्ध...
More »स्थानीय बनाम बाहरी: मानेसर में प्रवासी मजदूरों पर हमला
-न्यूजलॉन्ड्री, “सर, उन्होंने कृष्णा का हाफ मर्डर कर दिया है. पहले कमरे में मारे और फिर बाहर ले जाकर सरिया से सर पर मार दिया. उसका ढेर सारा खून तो डेरा (कमरा) पर ही गिर गया था. बिना देखे मार रहे थे वे लोग.” बिहार के छपरा जिले के रहने वाले 24 वर्षीय छोटू कुमार यह बात हमें बताने के बाद चुप हो जाते हैं. दहशत से भरी उनकी चुप्पी में उनकी...
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