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काम नहीं तो सांसदों को कैसा वेतन-भत्ता? - कुलदीप नैयर

करीब 12 साल पहले मैं राज्यसभा का सदस्य था। किसी न किसी मुद्दे को लेकर सदन के कामकाज में बाधा पैदा की जाती थी। छह साल के अपने कार्यकाल में मैंने देखा कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों इसके लिए एक-दूसरे से होड़ लेती रहती थीं। उनके जोश या तरीके में कोई अंतर नहीं था। कई बार वे एक-दूसरे से आगे निकल जाने की कोशिश करती थीं। मुझे लगता था कि...

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टीवी ट्रायल : 'इंस्टैंट इंसाफ" के खतरे - कंदर्प

क्या आपने 'लिंचिंग" के बारे में सुना है? जब कोई भड़काई गई भीड़ किसी व्यक्ति को बिना कोई मुकदमा चलाए तुरंत सजा दे देती है। जैसे दीमापुर (नागालैंड) में 5 मार्च के दिन एक ऐसी ही गुस्साई भीड़ ने जेल तोड़कर रेप के आरोपी को निकाला और उसे मार-मार के मौत के घाट उतार दिया। क्या लगता है ऐसी घटनाओं को पढ़कर या सुनकर? कि ये बर्बरताएं हैं, कि हम अभी...

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असहिष्णु होता समाज और हिंसा का उत्सव

बिहार के नालंदा में एक निजी स्कूल के निदेशक को सरेआम पीट-पीटकर मार डाला गया। देखने में, यह घटना स्थानीय लोगों के गुस्से की अभिव्यक्ति लगती है। स्कूल के दो बच्चों के गायब होने और फिर उनकी लाश मिलने के बाद लोगों का क्रोध भड़क उठा था। दो मासूमों की मौत काफी पीड़ादायक घटना है और उनकी लाश मिलने पर गुस्सा भी स्वाभाविक है, पर गुस्से में हत्या की वारदात...

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शिक्षक नहीं लिख सका गाय पर निबंध

श्रीनगर। बेशक वह गाय पर निबंध की दस पंक्तियां नहीं लिख पाया और न चौथी कक्षा के गणित के सवाल हल कर पाया, लेकिन उसने भरी अदालत में राज्य में आरईटी शिक्षकों की भर्ती में हुए घोटाले और चहेतावाद की पोल जरूर खोल दी। अदालत ने भी इसका कड़ा संज्ञान लिया और राज्य सरकार को एक समिति के गठन का निर्देश देते हुए कहा कि यह उन सभी शिक्षकों का स्क्रीनिंग...

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खतरनाक है पब्लिक ट्रायल का विचार

‘तो यह समझ में आने लगा कि सीधे जनता को कानूनन यह ताकत देनी होगी कि यदि राशनवाला चोरी करे, तो शिकायत करने के बजाय सीधे जनता उसे दंडित कर सके. सीधे-सीधे जनता को व्यवस्था पर नियंत्रण देना होगा, जिसमें जनता निर्णय ले और नेता व अफसर उन निर्णयों का पालन करें.' साल 2012 में अरविंद केजरीवाल ने अपनी किताब के पेज नंबर 30 पर यह सवाल उठाया है. वे पूछ...

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