लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...
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तकनीक की मदद से ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार की पहल
कौशिक यनामंद्रम और पीयूष सोहानी ने तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में एक कंपनी की स्थापना की है, नाम है सस्टेन अर्थ एनर्जी सॉल्यूशंस़ सितंबर, 2013 में स्थापित इस कंपनी के जरिये ये लोग ग्रामीण इलाकों में पर्यावरण अनुकूल ईंधन मुहैया कराते हैं. 28 साल के कौशिक इस कंपनी में फील्ड ऑपरेशंस के निदेशक की जिम्मेवारी संभालते हैं. वहीं, पीयूष इस कंपनी के सीइओ हैं और वित्तीय व तकनीकी मामलों...
More »सूखे की मार से मवेशी भी बेजार-- पंकज चतुर्वेदी
भीषण सूखे से बेहाल बुंदेलखंड का एक जिला है छतरपुर। यहां सरकारी रिकॉर्ड में 10 लाख 32 हजार चौपाए दर्ज हैं, जिनमें से सात लाख से ज्यादा तो गाय-भैंस ही हैं। तीन लाख के लगभग बकरियां हैं। चूंकि बारिश न होने के कारण कहीं घास बची नहीं है, सो अनुमान है कि इन मवेशियों के लिए हर महीने 67 लाख टन भूसे की जरूरत है। इनके लिए पीने के पानी...
More »दस प्रतिशत शहरी गरीब परिवारों की संपत्ति मात्र 291 रुपये
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। बार-बार मानसून की बेरुखी से खेती पर मार और रोजगार के अभाव के कारण गांवों की स्थिति खराब है, लेकिन हकीकत में शहर के गरीबों का हाल और भी बुरा है। शहरों में 10 प्रतिशत गरीब परिवार के पास औसतन मात्र 291 रुपये की संपत्ति है। इन परिवारों की स्थिति गांव के गरीबों से भी बदतर है। इतना ही नहीं शहर में गरीब और अमीर परिवारों की...
More »मनरेगा मजदूरों को भुगतान नहीं, छाया रहा मुद्दा
बिलासपुर(निप्र)। जिला पंचायत के पास मनरेगा के मजदूरों को देने के लिए फंड ही नहीं है। मजदूर पिछले कई दिनों से चक्कर काट रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर सामान्य सभा की बैठक में चर्चा हुई। इसके अलावा अन्य कई मुद्दों पर एजेंडावार चर्चा और समीक्षा की गई। सोमवार दोपहर एक बजे से जिला पंचायत सभा कक्ष में अध्यक्ष दीपक साहू की अध्यक्षता में सामान्य सभा और सामान्य प्रशासन समिति की...
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