एक समय था जब लूट सामंती व्यवस्था द्वारा होती थी और अपनी जान की सलामती के लिए ज्यादातर लोग विरोध नहीं कर पाते थे। वह सामंती व्यवस्था समाप्त हो चुकी है और आज भारत विश्व-पटल पर अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन आम आदमी के साथ लूट का सिलसिला आज भी जारी है। बस, इस लूट के तरीके बदल गए हैं। अब यह लूट बैंकों के...
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ऐसे तो नहीं बचेंगी बेटियां-- रीता सिंह
नीति आयोग का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि देश के इक्कीस बड़े राज्यों में से सत्रह राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज हुई है। नीति आयोग ने अपनी ‘हेल्दी स्टेट्स एंड प्रोग्रेसिव इंडिया' रिपोर्ट में कहा है कि सबसे चिंताजनक हालत गुजरात की है जहां सबसे ज्यादा तिरपन अंकों की गिरावट दर्ज हुई है। जबकि हरियाणा में पैंतीस अंक, राजस्थान में बारह अंक, उत्तराखंड में...
More »महिला विकास की बातें हैं, बातों का क्या! - मृणाल पांडे
इस समय जब वसंत अलविदा ले रहा है और एक नया संवत्सर दहलीज पर खडा है, वाक्वीर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सरकार के सालाना आर्थिक सर्वेक्षण मसौदे को पहली बार एक गुलाबी जिल्द में प्रस्तुत किया। पर यह गौरतलब है कि उस मसौदे के अनुसार भारत की अपेक्षित कुल आबादी में से 6 करोड़ तीस लाख महिलाएं गायब हैं। इस गैरहाजिरी की जो मोटी वजह प्राप्त आंकड़ों से...
More »केंद्रीय बजट के मानसिक क्षितिज से बिहार गायब, पढ़ें अर्थशास्त्री डॉ शैबाल गुप्ता को
इस बजट को देखने से लगता है कि सरकार चुनाव की जल्दीबाजी में है. बहुत संभव है कि मार्च, 2019 के पहले ही चुनाव हो जाये. इसकी आहट बजट में सुनायी दे रही है. इस बजट को पॉपुलिस्ट (लोकलुभावन) कह सकते हैं. हालांकि, सरकार के नजरिये से यह सकारात्मक बजट है. सरकार कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में खास कदम उठायेगी. पर, इसका ठीक-ठीक प्रतिफल किस रूप में सामने आयेगा,...
More »अवसाद की फैलती विषबेल-- मनीषा सिंह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2015 में एक रिपोर्ट जारी करके दुनिया को चेताया था कि डिप्रेशन यानी अवसाद दुनिया की सबसे बड़ी मानसिक बीमारी बनने जा रहा है। अकसर ऐसी स्वास्थ्य-रिपोर्टों और चेतावनियों पर हमारी नजर नहीं जाती, या वक्त के साथ हम उन्हें भूल जाते हैं, पर इनसे जुड़े हादसे साबित करते हैं कि इन चेतावनियों को याद रखना कितना जरूरी है। जैसे, दिल्ली के नजदीक हरियाणा के...
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