डाउन टू अर्थ, 18 फरवरी शहरीकरण भले ही विकास का एक पैमाना हो, लेकिन इसने हिमालय क्षेत्र को त्रासदी के मुहाने तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) की 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट “द हिंदूकुश हिमालय असेसमेंट : माउंटेंस, क्लाइमेट चेंज, सस्टेनेबििलटी एंड द पीपल” के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र की सबसे बड़ी आबादी भारत में रहती है। एचकेएच आठ देशों (अफगानिस्तान,...
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बजट में कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन वास्तविक अर्थों में 2 साल में कम हुआ, सिंचाई को भी तवज्जो नहीं
रूरल वॉयस , 14 फरवरी सबसे पहले सुर्खियां। वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का आवंटन 2022-23 के 1.24 लाख करोड़ रुपए के बजट अनुमान से घटाकर 1.15 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। महंगाई को समायोजित करें तो बीते 2 वर्षों के दौरान वास्तविक अर्थों में आवंटन कम हुआ है। दूसरी सुर्खी- कृषि के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई की पूरी तरह अनदेखी की गई...
More »मनरेगा योजना से क्यों दूर हो रहे हैं मजदूर?
जनचौक, 8 फरवरी ग्रामीण विकास विभाग की अति महत्वाकांक्षी समझी जाने वाली योजना ‘महात्मा गांधी राष्टीय रोजगार गारंटी अधिनियम’ (मनरेगा) में आई कई विसंगतियों के कारण आज मजदूरों में इसके प्रति रुचि नहीं रह गई है। जिसके कारण मनरेगा की योजनाओं में काम करने वाले मजदूरों की संख्या घटती चली गयी है। पहले जहां झारखंड में प्रतिदिन 8 लाख मजदूर काम कर रहे थे, अब वह घटकर 3.5 लाख तक सिमट...
More »बच्चों की जान ले रही है दिल्ली की प्रदूषित हवा
इंडियास्पेंड, 6 फरवरी इंडियास्पेंड की इस रिपोर्ट में हम पहली बार दिल्ली एनसीआर के बच्चों पर वायु प्रदूषण के विनाशकारी प्रभाव को देखते हैं। एक चौंका देने वाला आंकड़ा बताता है कि वर्ष 2019 में भारत में हर पांच मिनट में एक नवजात की मौत हुई। यह वीडियो बच्चों के जीवन पर वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों पर प्रकाश डालता है- यह बच्चों के मस्तिष्क के विकास में बाधा डालता है और...
More »कितनी बड़ी समस्या बन गया है भारत में समुद्र में बढ़ता प्लास्टिक कचरा
द वायर, 6 फरवरी समुद्रों को माइक्रोप्लास्टिक का महासागर बनने से बचाने के लिए यथाशीघ्र उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता हैं। पृथ्वी पर जीवन एवं संवहनीयता के दृष्टिकोण से स्वच्छ समुद्र का होना अति आवश्यक है। पिछले कुछ दशकों में प्लास्टिक की मांग एक नाटकीय क्रम में तेजी से बढ़ी हैं। प्लास्टिक की मांग में तेजी होने के प्रमुख कारण - प्लास्टिक का हल्का, लचीलापन, लंबी अवधि तक टिके रहने...
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