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क्या सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जनजातियों को मिले अधिकारों को बोझ समझता है?

-द वायर, चेबरोलू लीला प्रसाद और अन्य बनाम आंध्र प्रदेश राज्य और अन्य वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ का हालिया फैसला हमें एक बार फिर यह दिखाता है कि भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची, जिस पर आदिवासी अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व है, को कितना कम समझा गया है. राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को शत प्रतिशत आरक्षण देने के वर्ष 2000 के...

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संविधान की अंतरात्मा और शिक्षा

“अगर संविधान पर ढंग से अमल होता तो सबको समान शिक्षा मिलती और गैर-बराबरी नहीं रहती, लेकिन सरकारों ने इसकी अवहेलना की, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ न केवल भटकाव बल्कि छलावा भी”   घिरे हैं हम सवाल से हमें जवाब चाहिए, जवाब-दर-सवाल है के इंकलाब चाहिए! -शलभ श्री राम सिंह   हम भारत के लोग ने संविधान को 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया था। आज लगभग 70 साल के बाद देश का शासक...

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उम्मीदें बजट 2020: कम बजट और उससे भी कम खर्च बिगाड़ रही देश में शिक्षा की स्थिति

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर के सुदूर दक्षिण में स्थित प्राथमिक विद्यालय राउतपार अपने ब्लॉक का एक मात्र अंग्रेजी माध्यम का विद्यालय है। राज्य सरकार की कायाकल्प योजना के तहत इस विद्यालय को बाहर से बहुत सजाया-संवारा गया है, लेकिन इस स्कूल के छात्र कड़कड़ाती ठंड में टाइल्स पर बिछे टाट पर बैठने को मजबूर हैं क्योंकि विद्यालय में बेंच और डेस्क नहीं हैं। विद्यालय के एक अध्यापक ने...

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कम फीस और ज्यादा गुणवत्ता वाले शिक्षा संस्थानों का होना बेहद जरूरी क्यों है

पिछले कुछ समय से पूरे देश में कई विश्वविद्यालयों के छात्र फीसवृद्धि को लेकर उत्तेजित हैं. पड़ोसी देश पाकिस्तान तक से इसी प्रकार के विरोध-प्रदर्शनों की खबरें आ रही हैं. शासक वर्ग की ओर से इसके प्रति या तो उदासीनता दिखाई जा रही है या फिर इसे राजनीतिक रंग देकर खारिज करने की कोशिश की जा रही है. विपक्षी दल भी इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कर रहे हैं...

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नोबेल, गरीबी और आंबेडकर -- श्योराज सिंह बेचैन

भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, फ्रांस मूल की उनकी शोध छात्रा रही पत्नी एस्टर डफ्लो और अमेरिकी अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर, तीनों को संयुक्त रूप से नोबेल सम्मान मिलने के बाद से खासकर भारत की गरीबी को लेकर बहस छिड़ गई है। वह इसलिए भी कि जिस देश का एक पांव तरक्की के चांद पर पहुंचने को आतुर हो, उसका दूसरा पांव गरीबी की दलदल में गहरे फंसा हो, तो उसके...

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