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दिल्लीः अब पानी के निजीकरण की तैयारी

अगर बिजली के निजीकरण का कांग्रेस पार्टी में विरोध नहीं हुआ होता तो पानी का निजीकरण मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपने दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही कर देतीं। उन्होंने चौबीसो घंटे पानी उपलब्ध करवाने के नाम पर कार्ययोजना भी शुरू करवा दी थी। दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के तर्ज पर दिल्ली जल बोर्ड के लिए नियामक आयोग के गठन की भी घोषणा कर दी थी। उन्होंने सितंबर 2005 में...

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विकास का पैसा कहां जाता है- विनीत नारायण

राज्य सरकारों ने 'वाटरशेड’ कार्यक्रम की जो रिपोर्ट भेजी है, उससे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश सहमत नहीं हैं। बंजर भूमि, मरूभूमि और सूखे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए केंद्र सरकार हजारों करोड़ रुपये राज्य सरकारों को देती आई है। लेकिन जिले के अधिकारी और नेता मिलीभगत से सारा पैसा डकार जाते हैं। झूठे आंकड़े राज्य सरकारों के माध्यम से केंद्र सरकार को भेज दिए जाते हैं। आईआईटी के पढे़ श्री रमेश को कागजी...

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उत्तर प्रदेश खाद्दान घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज

नई दिल्ली। हजारों करोड़ के उत्तर प्रदेश खाद्यान्न घोटाले की जांच के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई का अहम दिन है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार दोनों को खाद्यान्न घोटाले की जांच की बाबत पक्ष रखने की खातिर नोटिस दी थी। इस मामले के याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने शीर्ष अदालत से गुहार की है कि घोटाले की जद में आने वाले आला अफसरों के खिलाफ सीबीआई को बगैर...

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NRHM घोटाला : कुशवाहा व जायसवाल न्यायिक हिरासत में!

गाजियाबाद। गाजियाबाद की एक विशेष सीबीआई अदालत ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और बसपा के पूर्व विधायक रामप्रताप जायसवाल को राज्य में हुए करोड़ों रुपए के एनआरएचएम घोटाला मामले में मंगलवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दोनों ही राजनीतिज्ञों को गत तीन मार्च को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें सीबीआई के साथ 10 दिन की हिरासत अवधि समाप्त होने के बाद सीबीआई अदालत में...

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कौन ठगवा नगरिया लूटल हो : गोपालकृष्ण गांधी

‘लूट’ शब्द जो है, ठेठ हिंदी का है। उर्दू में भी उसकी अपनी जगह है। यानी उसका घर हिंदुस्तानी में है, बोलचाल की मिली-जुली जुबान में। और अफसोस, अब उसका घर हमारी हर जुबान में है, हर दिमाग में, हमारी निराशा में, हमारे गुस्से में, हमारे आक्रोश में। आजकल हम लूट, लुट जाने और लुटेरों के बारे में इतना पढ़ते, देखते और सुनते हैं कि लगता है ‘लूट’ शब्द हमारे लिए और हमारे...

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