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बिहार के चौसा गांव के लोगों का दावा, नदी में तैरती लाशें गांव वालों की

-कारवां, 10 मई को बिहार के बक्सर जिले के चौसा गांव में गंगा नदी के घाट पर दर्जनों शव पानी में तैरते मिले. घाट से लगभग 500 मीटर के दायरे में मिले ये शव संभवत: कोविड-19 रोगियों के थे. सुबह जब गांव के लोगों ने शव देखे तो स्थानीय अधिकारियों को सूचना दी. बक्सर के उप-विभागीय अधिकारी के. के. उपाध्याय ने मुझे बताया कि शव क्षत-विक्षत हालत में थे और सड़ रहे...

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कोविड संकट: ज़िंदा लोग इंतज़ार कर रहे हैं, लाशें पूछ रही हैं देश का इंचार्ज कौन है

-द वायर, लोग हैं कि मरे जा रहे हैं, और वे अपने स्थानीय विधायक, सांसद, नेता, पन्ना प्रमुख, फलाने-ढिमकाने को फोन, संदेश, वॉट्सऐप पर गुहार लगा रहे हैं, जिनके मुनासिब जवाब किसी के पास नहीं हैं. एक तरह की बेबसी और जिसे बायर्स रिमोर्स (ख़राब सौदा करने का पछतावा) उन लोगों में साफ दिखलाई दे रहा है, जो अभी तक नरेंद्र मोदी की तमाम नादानियों, नाकामियों, गलतियों और जनविरोधी क्रूरताओं को अनदेखा...

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बलिया से बक्सर तक क्यों गंगा में मिल रहे हैं शव

-न्यूजलॉन्ड्री,  उत्तर प्रदेश से सटे बक्सर के गंगा तटों पर मिल रहे शवों को लेकर संशय बरकरार है. बक्सर प्रशासन द्वारा यूपी की ओर से आए शव बताकर 10 मई की देर रात 71 शवों का अंतिम संस्कार कर दिया. वहीं बक्सर से सटे बलिया प्रशासन ने भी 10 मई को मिले शवों का अंतिम संस्कार कराने के बाद शवों के स्रोत की जांच करने की बात प्रेस विज्ञप्ति में कही...

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फरवरी-मार्च में कोविड-19 संक्रमण के मामलों में हो रही थी वृद्धि लेकिन टास्कफोर्स ने नहीं की बैठक

-कारवां, भले ही भारत महामारी की सबसे बुरी मार झेल रहा है लेकिन कोविड-19 के लिए बनाए गए राष्ट्रीय वैज्ञानिक कार्यबल या टास्कफोर्स ने फरवरी और मार्च में एक भी बैठक नहीं की. टास्कफोर्स का काम महामारी की रोकथाम के प्रयासों पर केंद्र सरकार को सलाह देना है. राष्ट्रीय वैज्ञानिक टास्कफोर्स के दो सदस्यों, जो देश के प्रमुख वैज्ञानिकों में से हैं, और इसी टास्कफोर्स की उप समिति के एक सदस्य ने...

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शंख घोष: हममें से कोई पूर्ण नहीं, सब आंशिक ही हैं…

-द वायर, ‘बंगाल का विवेक आज विदा हो गया.’ लेखक मित्र कुमार राणा ने बिना किसी भावुकता के कहा. शंख घोष के न रहने की खबर सुनकर कुमार को फोन किया था. अभी उनका जाना प्रतीकात्मक ही है. बंगाल में जिस बदलाव की धमक नहीं, धमकी है, उस समय शंख घोष का उससे दूर चले जाना क्या एक सूचना है? कवि को उसके समाज का, जनता का अनिर्वाचित विधायक कहा जाता है. उसकी...

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