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हिमाचल में दरक रहे हैं पहाड़ के पहाड़, 24 घंटे में 462 सड़कें बंद

-डाउन टू अर्थ, हिमाचल में हर रोज प्राकृतिक आपदाएं देखी जा रही हैं। पिछले 24 घंटे में बारीश के कारण हुए भूस्खलन की वजह से 462 सड़कें बंद पड़ी हैं। जिसकी वजह से प्रदेश के विभिन्न जिलों में हजारों पर्यटक फंसे हुए हैं। 30 जुलाई को भूस्खलन की बड़ी घटना सिरमौर जिले में देखने को मिली जहां पौंटा साहिब से शिलाई को जोडने वाले नेशनल हाईवे 707 का 100 मीटर से...

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लगातार बढ़ रही हैं जंगलों में आग की घटनाएं!

जंगलों में लगने वाली आग केवल संयुक्त राज्य अमेरिका (कैलिफ़ोर्निया, 2020), ब्राज़ील (अमेज़ॅन वन, 2019-2020) या ऑस्ट्रेलिया (2019-20) जैसे देशों तक ही सीमित नहीं है. हर साल भारत के कई राज्यों के जंगल भी आग की चपेट में आते हैं. मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि हाल के महीनों में उड़ीसा के सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जंगल में आग लगी है. इस...

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जच्चा-बच्चा सर्वे: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मातृत्व लाभ से वंचित है

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 मातृत्व लाभ के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6,000 रुपए/ - प्रति बच्चा की गारंटी देता है. इस अधिनियन में वह शामिल नहीं हैं, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ या अन्य कानूनों के तहत नियमित रोजगार में रहते हुए इस तरह के लाभ उठा रहे हैं. एनएफएसए-2013 भी कानूनी...

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कोरोना अपडेट: देश में छठे दिन भी रिकॉर्ड 2,73,810 नए मामले, अब तक डेढ़ करोड़ से ज़्यादा लोग संक्रमित

-न्यूजक्लिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सोमवार, 19 अप्रैल को जारी आंकड़ों के अनुसार देश में लगातार छठे दिन भी कोरोना के रिकॉर्ड 2,73,810 नए मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा कोरोना से लगातार तीसरे दिन अब तक की एक दिन की सबसे ज़्यादा 1,619 मरीज़ों की मौत हुई। साथ ही इसी बीच देश भर में कोरोना से पीड़ित 1,44,178 मरीज़ों को ठीक किया गया है। और एक्टिव मामलों में...

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प्रदूषण से न नदियां बचीं और न भूजल

-डाउन टू अर्थ, हमारे अहम सतही जलस्रोतों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब इस्तेमाल करने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अलग अलग राज्यों की प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के हालिया विश्लेषण ने इसकी पुष्टि की है। साल 2015 में वाटर ऐड की एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जो शहरी विकास मंत्रालय, जनगणना 2011 और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर आधारित थी। इस रिपोर्ट में कहा...

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