कुछ मौतों का जिक्र हमारी जबान पर इसलिए नहीं आता है कि हम अब बड़ी-बड़ी मौतों पर चिंतन करनेवाले लोग हो गये हैं और हमारे चिंतन का केंद्र बिंदु भी सिर्फ सियासी हो चुका है. इसमें समाज के लिए न तो पहले जगह थी और न ही अब है और अगर यही हालात रहे, तो आगे भी नहीं होगी! जो समाज अपने बचपन से जुड़ी समस्या को लेकर चिंतित नहीं...
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स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा गुजरात : नीति आयोग
गांधीनगर। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को कहा कि गुजरात ने औद्योगिकीकरण के मामले में तो अच्छा काम किया है, लेकिन स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में वह पीछे छूट गया है। राजीव कुमार मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। राजीव कुमार ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुजरात की उपलब्धियां वैसी नहीं...
More »आरबीआई गवर्नर से सवाल-- कुमार प्रशांत
उर्जित पटेल बोले. बड़ी खबर यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के मुंह में जबान है अौर वह काटती भी है. देश की बैंकिंग-व्यवस्था की यह सिरमौर संस्था ने कभी ऐसी अपमानजनक भूमिका स्वीकार नहीं की थी, जैसी उर्जित पटेल ने इसे स्वीकार करने पर विवश कर दिया. यह चुप्पी अौर भी घुटन भरी इसलिए लग रही थी कि उर्जित पटेल ने उस जूते में पांव डाला था,...
More »जनसंख्या नीति को नई राह जाना होगा-- नवीन चंद्र लोहनी
सर्वोच्च न्यायालय में एक दंपति के अधिकतम दो संतान पैदा करने से जुड़ी जनहित याचिका हो या फिर देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर निकल रही रैलियां, इन सबका एक मतलब तो यह निकलता ही है कि जनसंख्या नीति पर तुरंत कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है। भारत में युवा शक्ति, युवा मस्तिष्क और युवा देश होने की बात जब नारों और जयकारों के बीच आती है, तो...
More »नौनिहालों की फिक्र किसे है--- देवेन्द्र जोशी
हाल ही में आई यूनिसेफ की रिपोर्ट चेताती है कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में भारत की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। भले ही इस मामले में हम पाकिस्तान से बेहतर स्थिति में हों, लेकिन हमारी स्थिति बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से भी बदतर है। भारत नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में इथियोपिया, गिनी-बिसाऊ, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और तंजानिया के समकक्ष खड़ा दिख रहा है। भारत में...
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