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निर्धारित लक्ष्य से पीछे चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कवरेज भी घटा !

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बजट-आबंटन अंतरिम बजट (2019-20) में घट गया है. एक तथ्य यह भी है कि फसल बीमा योजना पिछले दो सालों से अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम रही है. बजट-आबंटन घटने की एक वजह यह भी हो सकती है.   साल 2017-18 की बजट घोषणाओं के क्रियान्वयन की स्थिति बताने वाले दस्तावेज में कहा गया था कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना(पीएमएफबीवाय) की कवरेज सकल फसलित क्षेत्र...

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नौ मौतों के बाद केरल में किसानों की क़र्ज़ अदायगी पर 31 दिसंबर तक रोक लगी

तिरुवनंतपुरम: केरल में पिछले दो माह में कर्ज में डूबे कम से कम नौ किसानों की मौत के बाद मुख्यमंत्री पी. विजयन ने मंगलवार को कई राहत उपायों की घोषणा की. इनमें किसानों द्वारा लिए गए सभी तरह के कर्जों की अदायगी पर 31 दिसंबर तक रोक शामिल है. कैबिनेट बैठक के बाद विजयन ने पत्रकारों को बताया कि वाम सरकार ने किसानों की कर्ज अदायगी पर रोक की सीमा को...

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प्रति बूंद अधिक फसल योजना : दिन भर चले अढ़ाई कोस!

दो में दो को जोड़ने से हमेशा चार ही आये यह जरुरी नहीं- वह पांच..सात..दस कुछ भी हो सकता है. बात विचित्र लगती हो प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत चलाये जा रहे ‘प्रति बूंद अधिक फसल' के आंकड़ों पर गौर कीजिए.   प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के डैशबोर्ड पर दिख रहा आंकड़ा बताता है कि ‘प्रति बूंद-अधिक फसल' कार्यक्रम के तहत वित्तवर्ष 2017-18 में 11.25 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो-सिंचाई के अंतर्गत लायी गई...

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न्यूयॉर्क में सताती थी गांव की याद-- इल्मा अफरोज

मुरादाबाद के कुदंरकी गांव की रहने वाली इल्मा का बचपन खेत-खलिहान में अठखेलियां करते बीता। पापा किसान थे,मगर तालीम को लेकर बड़े संजीदा रहे। बेटी-बेटे में कोई फर्क नहीं किया। नन्ही इल्मा को किताबों से बड़ा प्यार था। स्कूल से लौटने के बाद खुद ही पढ़ने बैठ जाती। पापा को बेटी से स्कूल के किस्से सुनना बड़ा पंसद था। हर साल फसल बेचने के बाद वह सबसे पहले बेटी...

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यूपी: महराजगंज में बंद पड़ी चीनी मिल से प्रभावित 48,000 किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं

‘18 अप्रैल के बिटिया के गवना के दिन धइले बाटीं, हर साल एक से डेढ़ एकड़ बोअत रहलीं, अबकी तीन एकड़ गन्ना बो देहलीं. सोचलीं कि बिटिया के गवनवा के खर्चा फसलिया बेच के निपटाई देब. फसल बढ़िया भईल तब सोचलीं भगवानों दुखिया के दर्द समझत बाटें, केहू से कर्जा नाहीं लेवेके पड़ी. जनवरी बीत गईल, गन्ना अबहीं खेतवे में खड़ा बा. 2014-15 के अबहीं 22 हजार रुपिया मिलवा से...

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