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UNU-INWEH रिपोर्ट: बूढ़े हो रहे बड़े बांधों का तीव्रता से निपटान करने के लिए प्रोटोकॉल जारी करने की जरूरत!

बड़े बांध जो पर्यावरणीय क्षति और बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बने हैं, उनका भारत में नर्मदा बचाओ आंदोलन (NBA), नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल्स मूवमेंट (NAPM) और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) जैसे नागरिक समाज संगठनों (CSO) द्वारा विरोध किया गया है. संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय के कनाडा स्थित इंस्टीट्यूट फॉर वॉटर, एनवायरनमेंट एंड हेल्थ के साथ-साथ अन्य साथी संगठनों द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन से पता...

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निजी क्षेत्र के समर्थन के दावे को पूरा करने के लिए मोदी सरकार को इन 5 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा

-द प्रिंट, सरकार की आर्थिक रणनीति में बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र पर भरोसा जताया है. बुधवार को सरकार ने दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए एक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरू की, जिसमें 13 सेक्टर शामिल हैं और माना जा रहा है कि इससे वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र भारत की ओरआकर्षित हो सकेगा. यह विशेष रूप से आयात पर उच्च निर्भरता वाले श्रम-प्रधान क्षेत्रों में घरेलू...

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चारधाम समिति के प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- पनबिजली प्रोजेक्ट, सड़क चौड़ीकरण से आई आपदा

-द वायर, उत्तराखंड में चारधाम राजमार्ग परियोजना की निगरानी कर रही उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष ने उच्चतम न्यायालय को लिखा है कि पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण और सड़क को चौड़ा करने से हिमालयी परिस्थितिकी (इकोलॉजी) को अपूरणीय नुकसान पहुंच रहा है, जिसके कारण चमोली जिले में अचानक बाढ़ रूपी आपदा आई. समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने सर्वोच्च न्यायालय को लिखे पत्र में कहा कि 2013 में केदारनाथ में हुए हादसे के...

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‘चीन का हाथ’, SYL प्रदर्शन- किसान आंदोलन पर हरियाणा के कृषि मंत्री के बोल खट्टर के लिए बने सिरदर्द

-द प्रिंट, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों का आंदोलन राज्यभर में फैलने के कारण तो दबाव झेलना ही पड़ रहा है, उन्हें एक और मोर्चे पर भी जूझना पड़ रहा है—यह हैं उनके कृषि मंत्री जयप्रकाश दलाल जो लगातार शर्मिंदगी का सबब बन रहे हैं. सितंबर में किसानों के सड़कों पर उतरने के बाद से उनके आंदोलन को पटरी से उतारने की कोशिश में जुटे दलाल कुछ न कुछ...

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पर्यावरण रक्षक खेती है बारहनाजा - बाबा मायाराम

इन दिनों दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है। खेती-किसानी की चर्चा चल रही है। इस समय तीन नए कृषि कानून व न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा खेती के व्यापक पहलुओं पर भी बात करना भी जरूरी है। मिट्टी- पानी, जैव विविधता व पर्यावरण रक्षक खेती की चर्चा भी जरूरी है। इनमें से एक है उत्तराखंड की पारंपरिक कृषि पद्धति है, जो मिट्टी-पानी व जैव विविधता का संरक्षण करते हुए...

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