वैश्विक लैंगिक असमानता को अगर एक पैमाने पर बैठाकर देखें तो उसमें भारत की कहानी कुछ मामलों में चमकदार मगर ज्यादातर मामलों में बदरंग नजर आएगी। पहले चमकदार पहलू को लें। साल १९९३ में संविधान का ७३ वां(पंचायत) संशोधन पारित हुआ और इस संविधान संशोधन से तृणमूल स्तर की दस लाख महिलाएं आनन फानन में राजनीतित मशीनरी का हिस्सा बन गईं। कहानी का एक चमकदार पहलू जुड़ता है नेतृत्व के...
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जाकर मइया पुआ पकावे, ताकर धिया उपास
रांची। यदि आप जलावन के रूप में कोयले का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाइए। चोरी के आरोप में पकड़े भी जा सकते हैं। हालांकि कोयले के इस झारखंड देस में लाखों लोग घरेलू उपयोग में रोजाना कोयले का इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह दीगर बात है कि उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। यह वह राज्य है, जिसके पास 691 एमटी कोयला रिजर्व है। देश भर में 2,111 एमटी कोयला रिजर्व के...
More »गंगा-सोन के किनारे, पटना जिले में प्यासे बैठे बेचारे
पटना गंगा व सोन के तटों पर बसे पटना जिला के तमाम प्रखंडों में ही नहीं बल्कि राजधानी भी तेज गर्मी के साथ पानी की समस्या जूझ रही है। पेयजल संकट दरअसल यहां की नियति बन गई है। चापाकल व कुएं सूखने लगे हैं। सरकारी नलकूपों की स्थिति जर्जर है। गांव से शहर तक में 'रेन हार्वेस्टिंग' की बात तो हो रही पर संपूर्णता में इसे आकार नहीं पा सका। शहरी विकास योजनाओं की...
More »पेड़ों पर चल रही आरी, रो रहा पंजाब
जालंधर। पंजाब में विकास और औद्योगिकीकरण के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और वृक्षारोपण की धीमी गति से वन क्षेत्र दिनों दिन घटता जा रहा है। राज्य के कुल भूभाग का 33 फीसदी क्षेत्र वनाच्छादित होना चाहिए लेकिन रकबा तकरीबन छह फीसदी ही है। हालांकि, राज्य सरकार ने वन क्षेत्र 33 फीसदी करने का दावा किया था लेकिन बाद में लक्ष्य को घटा कर 17 फीसदी कर दिया। अमृतसर जिले में महज 3 फीसदी...
More »फिर कैसे बना प्रदेश बीमारू राज्य
भोपाल। मप्र को बीमारू राज्य कहने वालों को इस विषय पर दोबारा सोचने की जरूरत है। कारण प्रदेश में हर साल बढ़ते करोड़पति व्यापारियों के अलावा नेताओं, अफसरों और उद्योगपतियों के यहां से मिल रही करोड़ों की अनुपातहीन संपति को देखकर नहीं लगता कि प्रदेश बीमारू राज्य है। आयकर विभाग के छापों ने प्रदेश के कई लोगों की पोल खोल दी है। पिछले तीन साल में ही आयकर छापों में करीब छह सौ करोड़...
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