कई विद्वानों का मानना है कि भारतवासी भारत में रहकर वैसी कामयाबी हासिल नहीं कर सकते, जो विदेशों में पहुंचते ही उनको नसीब हो जाती है। इस बार न्यूयॉर्क में मुझे इस बात की सच्चाई का गहरा एहसास हुआ। जिस दिन यहां पहुंची एक पारसी दोस्त की बेटी की शादी में कानक्टीकट जाना हुआ और रास्ते में पता चला कि गाड़ी का ड्राइवर देसी था। उसके साथ बातें शुरू हुई, तो पता...
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महिला जनप्रतिनिधि भी आरटीआइ लगाने में आगे
पंचायती राज में 50 फीसदी महिलाओं के आने से एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि अगर परिवार का हस्तक्षेप न हो और व्यवस्था सहयोग करे, तो अधिसंख्य महिला जनप्रतिनिधि हमेशा भ्रष्टाचारमुक्त समाज के साथ पंचायत में समेकित विकास की बात सोचती हैं. प्रथम अपील एवं द्वितीय अपील तक महिला जनप्रतिनिधियों की पहुंच कम शाहिना परवीन बताती हैं, इसके पीछे दो महत्वपूर्ण कारण हैं. अव्वल तो यह की आज भी सूचना का...
More »झारखंड नहीं, केंद्र का बीपीएल मंत्री हूं : जयराम
रांची: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि वह केंद्र सरकार के बीपीएल मंत्री है, झारखंड के मंत्री नहीं. उनके पास इतने पैसे नहीं है कि नेत्रदान के लिए फॉर्म का 200 रुपये अदा कर सकें. श्री रमेश गुरुवार को कश्यप मेमोरियल आई बैंक द्वारा आयोजित रन फॉर विजन कार्यक्रम में बोल रहे थे. श्री रमेश ने कहा कि अगर मैं झारखंड का मंत्री होता तो बात कुछ और...
More »स्त्रीविरोधी हिंसा की जमीन- विकास नारायण राय
जनसत्ता 12 सितंबर, 2013 : सोलह दिसंबर के दिल्ली के चर्चित बलात्कार कांड की बाबत अदालती फैसला आ गया है। इस फैसले के बरक्स स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा ज्यों की त्यों जारी है। सारे समाज को उद्वेलित करने वाले इस कांड के बाद यौनहिंसा से संबंधित कानूनों की समीक्षा की जरूरत महसूस हुई और इसके लिए केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में...
More »यौन हिंसा की जड़ें- रुचिरा गुप्ता
जनसत्ता 4 सितंबर, 2013 : कुछ दिन पहले जब मैंने मुंबई में एक तेईस वर्षीय फोटो पत्रकार के साथ बलात्कार की घटना के बारे में पढ़ा, तो कुछ पुरानी घटनाएं सामने घूमने लगीं। यानी फिर से वही सब! करीब उनतीस साल की उम्र में छह दिसंबर, 1992 को जब मैं एक रिपोर्टर की हैसियत से उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना की खबर जुटा रही थी तो मुझ...
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