मूडीज की दलील - नीति निर्माताओं को इस भुलावे में नहीं रहना चाहिए कि महंगाई को भड़काए बगैर भी कोई इकोनॉमी 10% की दर से विकास कर सकती है यह बयान क्यों - कुछ सरकारी नीति निर्माता खासकर आरबीआई गवर्नर डी. सुब्बाराव डबल-डिजिट ग्रोथ की वापसी पर विशेष जोर दे रहे हैं पहले क्या हुआ...
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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर
जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...
More »महंगाई पर पहली बार साथ हड़ताल पर जाएंगे मजदूर संघ
नई दिल्ली। पेट्रो कीमतों में ताजा वृद्धि से नाराजमजदूर संगठन केंद्र सरकार के खिलाफ पहली बार एक साथ हमला बोलने जा रहे हैं। महंगाई रोकने में सरकार की नाकामी के खिलाफ 11 केंद्रीय कर्मचारी संगठनों और मजदूर संघों ने 20 फरवरी से दो दिनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। भाजपा ने भी सड़कों पर उतरने का संकेत दिया है। एटक महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने शनिवार को कहा कि...
More »दाम आसमान पर, मगर महंगाई दर में गिरावट
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम आदमी की रसोई से जुड़े उत्पादों के दाम भले बाजार में आसमान छू रहे हैं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में लगातार चौथे महीने महंगाई की दर में कमी दर्ज की गई है। थोक मूल्यों वाली महंगाई की दर जनवरी में घटकर 6.62 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं, प्याज और आलू समेत खाने-पीने की सभी जरूरी चीजों के दामों में तेजी बनी हुई है। थोक मूल्यों पर...
More »नकद पैसे का खेल- बनवारी
जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...
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