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जेटली ने कहा, 10 फीसदी की विकास दर असंभव नहीं

वाशिंगटन : वित्त मंत्री अरुण जेटली को 10 फीसदी विकास दर होने की संभावना है. उन्होंने भरोसा जताया है कि सरकार की ओर किए जा रहे आर्थिक सुधारों, नीतिगत बदलावों, बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में धन का प्रवाह बढाने से फायदा होगा साथ ही संभावित अच्छे मानसून के साथ 10 फीसदी की विकास दर असंभव नहीं है. अमेरिकी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए नौ दिनों की यात्रा पर पहुंचे...

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पश्चिम बंगाल: समाचार पत्रों की आजादी में हस्तक्षेप नहीं: हाइकोर्ट

कोलकाता: कलकत्ता हाइकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर ने समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के मामले में किसी प्रकार का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. एमपीएस कंपनी के मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी को बुधवार को समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया. इस पर आपत्ति जताते हुए कुछ सरकारी अधिवक्ताओं और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रणब दत्त ने मुख्य न्यायाधीश से कुछ समाचार पत्रों...

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चीन से आगे जाने का मतलब- मधुरेन्द्र सिन्हा

बीती सदी के नब्बे के दशक में जब जर्जर भारतीय अर्थव्यवस्था को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव के वित्त मंत्री ने अमरबूटी पिलाई थी, तो किसी को एहसास भी नहीं था कि यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जाएगी। विदेशों में बने टीवी, फ्रिज को देखकर ललचाते हुए मध्यवर्ग ने सोचा भी नहीं था कि भारत ऐसे सामान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन जाएगा। यह...

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देश की 20 प्रतिशत आय केवल 928 घरों में सीमित

एक तरफ तो सरकारें कहती हैं कि वो गरीबी और अमीरी की खाई को पाट देंगी लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट इस बात को सिरे से खारिज करती हैं कि भारत में कुछ ऐसा हो भी सकता है। बॉस्टन कंसल्टेंसी ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कुल कमाई का 20 प्रतिशत केवल 928 परिवारों तक ही सीमित हैं। बॉस्टन कस्लटिंग ग्रुप की रिपोर्ट में 'ग्लोबल वेल्थ 2015:विनिंग...

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एक इम्तिहान है मैगी का मामला - जगमोहन सिंह राजपूत

दो मिनट में बनकर तैयार हो जाने वाली मैगी ने सारे भारत को हिला दिया है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि इस बार तो स्वाद पूरी तरह बेमजा हो गया। नेस्ले के नूडल्स घर-घर ही नहीं, अब तो गांवों तक अपनी पहुंच बना चुके थे। वे लोग जो चाहते हैं कि सारी दुनिया में एक भाषा, एक पहनावा, एक खाना ही चले, मैगी जैसे प्रचलन को अपनी...

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