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कथा बीपीएल-क्लब की - ज्यां द्रेज

झारखंड के लातेहार जिले के डबलू सिंह के परिवार की दुर्दशा वर्तमान खाद्य-नीतियों की विसंगतियों को जितनी मार्मिकता से उजागर करती है उतनी शायद कोई और बात नहीं करती। जीविका के लिए मुख्य रुप से दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर आदिवासी युवक डबलू, तकरीबन दो साल पहले,  काम करते वक्त छत से गिर पडा और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई।  जीवनभर के लिए अपंग हो चुके डबलू को हर वक्त...

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इन्क्लूसिव मीडिया फैलोशिप (2011)--- परिणाम घोषित

विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) के इन्क्लूसिव मीडिया फैलोशिप के लिए देश भर से आठ पत्रकार चयनित हुए हैं। इसमें एक फैलोशिप का प्रायोजन देश के स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले वाले स्वयंसेवी संगठन प्रथम के aser (एनुअल स्टेटस् ऑव एजुकेशन-रुरल) की तरफ से किया गया है।  इन्कलूसिव मीडिया प्रोजेक्ट के अन्तर्गत मीडिया-रिसर्च का भी काम होता है, साथ ही भारत के ग्रामीण संकट...

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मध्यस्थों और सरकार पर अन्ना ने साधा निशाना, कहा-अनशन तोड़ना मेरा अपना फैसला

मुम्बई.  गांधीवादी और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे अब सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के माध्यम से अपने समर्थकों से रूबरू होंगे। गांधीवादी ने गुरुवार को जहां अपने नाम से एक ब्लॉग की शुरुआत की वहीं वह फेसबुक और ट्विटर से भी जुड़े। गांधीवादी के इस ब्लॉग का नाम 'अन्ना हजारे सेज' दिया गया है जो अंग्रेजी, हिंदी और मराठी में उपलब्ध होगा और इसे 'अन्ना हजारेसेज डॉट वर्डप्रेस डॉट कॉम' पर देखा...

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बत्तीस के फेर में गरीबी : इला भट्ट

अब देश की सरकार गरीबी के मानदंडों में संशोधन करने जा रही है, जैसे कि देश को पता ही न हो कि गरीबी के मायने आखिर क्या हैं! सरकार का मानना है कि शहरी क्षेत्र में एक दिन में 32 रुपए और ग्रामीण क्षेत्र में एक दिन में 26 रुपए से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति ‘गरीब’ नहीं माना जा सकता और इसलिए वह सरकार की विभिन्न हितकारी योजनाओं के लिए पात्र...

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आशा और गरिमा से विस्थापन : हर्ष मंदर

भारत के अनेक मनोचिकित्सालय लंबे समय से विस्मृत दीन-दुखियों के लिए अंधकारपूर्ण बंदीगृह बने हुए हैं। मानवाधिकारों की सुरक्षा करने और सभी के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के हमारे मिले-जुले रिकॉर्ड में मानसिक रूप से विकलांग लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा और उनका पुनर्वास संभवत: सबसे चिंतनीय प्रसंगों में से एक है। कुछ साल पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट सहित कई अन्य स्वतंत्र रिपोर्टो द्वारा प्रस्तुत एक सर्वेक्षण...

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