इस देश में जच्चा-बच्चा कैसे सुरक्षित रह सकते हैं, जब स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर अस्पताल तक लोगों को समय से उपचार नहीं मिल रहा। संस्थागत प्रसव के बाद एक भी बच्चे की मौत तक व्यवस्था पर सवाल जिंदा बना रहेगा। रोजाना जन्मने वाले कुल शिशुओं मे 50 फीसदी की हिस्सेदारी अकेले आठ ईएजी राज्य करते हैं। यहां स्थितियां बेहद जर्जर हैं। वहीं अन्य राज्यों में भी स्थिति को संतोषजनक नहीं...
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खेतों में खड़ा है गन्ना तो किसान कैसे करें गेहूं की बुआई?
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान केवल लेट भुगतान की समस्या से ही त्रस्त नहीं हैं, बल्कि गन्ना मिल संचालकों एवं उनके कर्मचारियों की मनमानी से भी परेशान हैं। प्रदेश के कई जिलों में गन्ना किसानों को समय से पर्ची न मिलने की वजह से किसान गेहूं की बुआई नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के बस्ती, गोंडा, सिद्धार्थनगर, सुल्तानपुर सहित कई जिलों में किसानों के साथ इस तरह की दिक्कत...
More »मोदी-शाह की भाजपा ने देश के युवाओं को नाउम्मीद तो किया ही, उससे लड़ने पर भी उतारू हो गई
प्रतिस्पर्धी खेलों में लीग, सीनियर, जूनियर आदि कई स्तर की प्रतिस्पर्धाएं होती हैं. खिलाड़ी का रुतबा इस बात से तय होता है कि वह किस स्तर की प्रतिस्पर्धा में खेलता है. जो नीचे उतरकर निचले स्तर की प्रतिस्पर्धा में ‘बच्चा’ खिलाड़ियों से मुक़ाबला करता है वह अपना रुतबा ही घटाता है. यहां हम इस कसौटी पर अपनी सियासत को कसेंगे, खासकर भाजपा की सरकार को, कि वह छात्रों के आंदोलन...
More »जेएनयू हिंसा: नए-नए दुश्मन की तलाश में सर्वनाशी सियासत
जेएनयू में हुई विस्मयकारी हिंसा से आपको यह आसान बात समझा आ जानी चाहिए कि भारत एक ऐसी सत्ता द्वारा शासित हो रहा है जिसके होने का एकमात्र कारण विरोध का ज़रिया ढूंढ़ना और उसे क्रूरता से कुचलना है. कायर ठगों का भारत के सबसे प्रमुख विश्वविद्यालयों में से एक में इस तरह घूमना, शिक्षकों और विद्यार्थियों का सर फोड़ देना, जेएनयू प्रशासन द्वारा मामूली हाथापाई बताकर दरकिनार करने वाली...
More »वर्ष 2018 में 10,349 किसान एवं कृषि श्रमिकों ने की आत्महत्या : एनसीआरबी
लाख कोशिशों के बावजूद भी किसान और खेती से जुड़े लोगों की आत्हत्या रुक नहीं रही है। प्रतिकूल मौसम से फसलों पर मार पड़ने के साथ ही कृषि ऋण संकट या फिर अन्य कारणों से देश के हजारों किसान हर साल आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में कृषि क्षेत्र (कृषक और कृषि श्रमिक) से जुड़े कुल 10,349...
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