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अर्थात‍ः राहत ऐसी होती है !

-इंडिया टूडे, मुंबई में दो साल तक काम करने के बाद, सि‍तंबर 2019 में कीर्ति की मेहनत कामयाब हुई, जब उसे लंदन की मर्चेंट बैंकिंग फर्म में नौकरी मिल गई. वह लंदन को समझ पाती इससे पहले कोविड आ गया. नौकरी खतरे में थी. लेकिन अप्रैल में ही उसकी कंपनी सरकार की जॉब रि‍टेंशन स्कीम (नौकरी बचाओ सब्सिडी) में शामिल हो गई. पगार कुछ कटी लेकिन नौकरी बच गई.  बहुत नुक्सान...

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एनडीए से हटने के बाद अकाली दल अध्यक्ष का दावा, “सीएए और 370 पर बीजेपी का किया था विरोध”

-कारवां, केंद्र सरकार द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानून पारित किए जाने के बाद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से शिरोमणि अकाली दल बाहर हो गई है. अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने 26 सितंबर को घोषणा की कि वह पंजाब और सिख मामलों में बीजेपी द्वारा निरंतर दिखाई जा रही संवेदनहीनता के चलते गठबंधन तोड़ रहे हैं. बादल ने एनडीए के कामकाज के तरीके पर भी सवाल उठाए और क्षेत्रीय साझेदारों को...

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क्या देश को राज्यपालों की जरूरत है?

-सत्याग्रह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वजह वही पुरानी है. यानी ममता बनर्जी सरकार से उनकी नाराजगी. जगदीप धनखड़ का कहना है. ‘अगर संविधान की रक्षा नहीं हुई तो मुझे कार्रवाई करनी पड़ेगी. राज्यपाल के पद की लंबे समय से अनदेखी की जा रही है. मुझे संविधान के अनुच्छेद 154 पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा.’ यह अनुच्छेद कहता है कि राज्य की...

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कांट्रैक्ट फार्मिंग से किसान या कंपनी किसको फायदा होगा? नए कानून की पूरी शर्तें और गणित समझिए

-गांव कनेक्शन, सरकारी शब्दों में कांट्रैक्ट फार्मिंग- संविदा पर खेती यानी किसान का खेत होगा, कंपनी-व्यापारी का पैसा होगा, वो बोलेगी कि आप ये उगाइए, हम इसे इस रेट पर खरीदेंगे, जिसके बदले आपको खाद, बीज से लेकर तकनीकी तक सब देंगे। अगर फसल का नुकसान होगा तो उसे कंपनी वहन करेगी। कोई विवाद होगा तो एसडीएम हल करेगा। मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश,...

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कृषि विधेयकों के खिलाफ आखिरकार विपक्ष एकजुट हुआ है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है

-द प्रिंट, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पर्याप्त विचार किए बिना पारित कृषि विधेयकों के विरोध में 18 विपक्षी दलों और 31 किसान संगठनों ने अपनी एकजुटता प्रदर्शित की है. विधेयकों में साफ ज़ाहिर कमियों के कारण वे चाहते थे कि राज्यसभा में पारित किए जाने से पहले उन्हें समीक्षा के लिए सदन की स्थाई समिति में भेजा जाए. लेकिन विपक्ष की मांग को सिरे से खारिज कर दिया गया. कई विशेषज्ञों...

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