भोपाल। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (नरेगा ) जो अब महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के नाम से जानी जाती है। इस योजना का उद्देश्य था कि क्षेत्र के मजदूरों को अपने ही गाव में काम मिले और वे पलायन नहीं कर सकें, लेकिन अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से काम मशीनों द्वारा करा लिए जाते है, जिससे मजदूरों को काम नहीं मिल पाता। इस कारण गरीब परिवार काम के सिलसिले में...
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जल संरक्षण और संवर्धन में 50 लाख को रोजगार
भोपाल। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने के लिए प्रदेश में चलाई जा रही रोजगार गारंटी स्कीम के तहत एक लाख 15 हजार से अधिक के जल संरक्षण और संवर्धन के कार्य किए गए है। इसमें 50 लाख से अधिक परिवारों को रोजगार मिला है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने बताया कि रोजगार गारंटी स्कीम के तहत ग्रामीणों को उपलब्ध कराए जा रहे रोजगार कार्यो से पिछले तीन वर्षो में पूरे प्रदेश...
More »करोड़पति हैं, इसलिए कानून पर भी भारी हैं!
लखनऊ [राजेंद्र कुमार]। उनकी जितनी आय नहीं है, उससे ज्यादा की सम्पत्ति के वे मालिक हैं। अब जैसे लखनऊ विकास प्राधिकरण में एक बाबू हैं, वह हीरो होंडा कार के मालिक तो हैं हीं उनके पास लखनऊ में विकास प्राधिकरण के आधा दर्जन से ज्यादा प्लाट हैं जिनकी कीमत करोड़ में पहुंच चुकी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एक बाबू की हैसियत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि लखनऊ...
More »बिचौलिए की भेंट चढ़ी आवास योजना
लातेहार। लातेहार जिले में गरीब असहाय लोगों के लिए बनाए जा रहे इंदिरा आवास योजना व इंदिरा आवास उत्क्रमण योजना का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। गरीब असहाय आज भी पंचायत सेवक के पीछे-पीछे घूमने को विवश है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 09-10 में 3944 इंदिरा आवास का निर्माण व 524 के उत्क्रमण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से सिर्फ 744 का नवनिर्माण हुआ है व 351 का उत्क्रमण सरकारी आंकड़े के...
More »अपने हिस्से की छत की खाक छान रहे गरीब
पटना। धरती के कलेजे से लिपटकर रोज ही अपने घर का रोना रोने वाले शहरी गरीबों के लिए उनके हिस्से की छत का मयस्सर होना अब तक मुश्किल ही है। तीखी धूप में जलता बदन और हाड़ कंपाती ठंड में 'काठ' होते चेहरे की उम्मीद पर निर्माण एजेंसी की कच्छप गति ने पानी फेर दिया है। सूबे में शहरी गरीबों को घर देने की घोषणा सरकार ने कई मौकों पर की है। ऐसी 32 हजार...
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