SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 773

वैज्ञानिकों ने दी धरती के अंत की चेतावनी

लगातार बढ़ रही जनसंख्या अब धरती के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन गई है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने धरती के अंत की ओर बढ़ने की चेतावनी देते हुए पानी, जंगल और जमीन के अधिक उपयोग को इसका कारण बताया है।    शोध पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित इस रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने कहा है कि धरती अब उस दिशा में बढ़ रही है जब कई प्रजातियां समाप्त हो जाएंगी और अमूलचूल...

More »

उन्नींदा कानून, हरियाली का खून- पुष्कर सिंह रावत

न नियमों की परवाह और न नैतिकता का बंधन। उन्नींदे कानून के साए में ही हरियाली का खून हो गया। विकास की आड़ में विनाश का यह खेल हुआ उत्तरकाशी जिले के डुण्डा ब्लाक में। सड़क निर्माण के दौरान निकला मलबा वहीं जंगल में उड़ेल दिया गया। बोल्डर (चट्टान से टूटे बड़े पत्थर) और मलबे के नीचे कुचले हुए सौ से ज्यादा हरे-भरे पेड़ों की कराह सरकारी महकमों को नहीं...

More »

गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा

कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...

More »

आंकड़ा बढ़ा, रतलाम डीएफओ अभी तक 35 करोड़ का

- सीतामऊ में गैस एजेंसी, यहीं पर मौके की पांच दुकानें -मंदसौर आवास से मिले 16.50 लाख रुपए नगद -इंदौर में है 5हजार वर्गफीट में बना हुआ बंगला -राजस्थान के उदयपुर में भी संपत्ति होने का पता चला  भोपाल। रतलाम डीएफओ एसके पलाश की संपत्ति का आंकड़ा बढ़कर 35 करोड़ तक पहुंच गया है। लोकायुक्त टीम ने मंगलवार सुबह एक साथ पलाश के सभी ठिकानों पर कार्रवाई की थी।...

More »

गाय के गोठे में शिक्षा ले रहे आदिवासी बच्चे- प्रदीप घुमडवार

कुही. तहसील की राजोला गुट ग्राम पंचायत का आगरगांव सौ प्रतिशत आदिवासी गांव आज भी विकास से कोसों दूर है। इस गांव में प्राथमिक शाला के लिए स्वतंत्र इमारत नहीं होने से बच्चों को गाय के गोठे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है। यह गांव मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। इसका खामियाजा भुगतने के बाद भी आदिवासी चुपचाप हैं। इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। यहां...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close