दसौर की घटना पर आंसू बहाने वाले दिल कड़ा कर लें, क्योंकि असंतोष की चिनगारियां देश के कई हिस्सों में छिटक रही हैं। कारण? गांवों और कस्बों में रहने वाली देश की बड़ी आबादी के लिए ताकतवर भारतीय राष्ट्र-राज्य अब भी दूर की कौड़ी है। क्या हमें इस बात पर शर्म नहीं आनी चाहिए कि कृषि-प्रधान कहलाने वाले देश की कोई कारगर ‘राष्ट्रीय कृषि नीति' नहीं है? 1947 से अब...
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हरित क्रांति की जमीन पर किसानों की खुदकुशी-- संजीव शर्मा
पंजाब में पिछले एक दशक के दौरान हुई किसान आत्महत्या की घटनाओं ने सरकारी तंत्र पर हमेशा सवाल खडेÞ किए हैं। राज्य में भले ही सत्ता परिवर्तन हो गया है लेकिन किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। आज भी सूबे के किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। पंजाब में सत्ता परिवर्तन को करीब तीन माह हुए हैं और इन तीन महीनों के दौरान करीब 60 किसान मौत...
More »अनदेखी से फूटा गुस्सा-- देविन्दर शर्मा
देश में जहां कहीं भी किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उससे यह बात साफ हो जाती है कि आखिर कब तक किसान चुप रहेंगे और कब तक बर्दाश्त करते रहेंगे. यह एक बड़ी सच्चाई है कि पिछले 40-50 साल से किसानों के साथ अत्याचार यह हो रहा है कि एक डिजाइन के तहत उनको कमजोर करके रखा जा रहा है. बस, बीच-बीच में कभी-कभार उनकी मदद...
More »किसान संगठन हरियाणा में भी करेंगे आंदोलन तेज
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन की लपटें हरियाणा तक भी पहुंच सकती हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की राज्य इकाई ने इन तीनों राज्यों के किसान आंदोलन का समर्थन किया है। यही नहीं, भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी शुक्रवार को नयी दिल्ली में होने वाली किसानों की राष्ट्र स्तर की बैठक में भाग लेंगे। इसके बाद वे हरियाणा यूनिट की मीटिंग करके आंदोलन की...
More »जीवन चाहिए, मृत्युदंड नहीं- रुचिरा गुप्ता
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की वर्षगांठ पर मुझे एक बात याद आयी. उनकी विधवा, सोनिया गांधी, ने राष्ट्रपति को एक खत में लिखा था कि वे और उनके दोनों बच्चे- राहुल और प्रियंका- राजीव की मृत्यु से अत्यंत पीड़ित हैं, पर वे नहीं चाहते कि राजीव के हत्यारों को मृत्युदंड दिया जाये. सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकर राजीव के हत्यारों को उम्र कैद की सजा दी. इंदिरा गांधी...
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