भोपाल। महंगाई की मार झेल रहे आम जनता की मुश्किलें उस समय और बढ़ गईं जब प्रदेश के सभी वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दर आगामी एक जून से 10.66 प्रतिशत बढ़ा दी गई हैं। मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के सदस्य के.के.गर्ग ने आज यहां संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए बताया कि तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने विद्युत उत्पादन की दरों में वृद्धि को देखते हुए नियामक आयोग के समक्ष विद्युत...
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गैर सरकारी संस्थाओं का आडिट कैग से हो : अंसारी
जागरण ब्यूरो, शिमला। उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा कि गैर सरकारी संस्थाओं, स्वायत्त संगठनों, सोसायटियों व ट्रस्ट के कार्यो का ऑडिट भी सरकारी विभागों की तर्ज पर कैग से करवाया जाना चाहिए। उन्होंने सब्सिडी पर खर्च होने वाले सरकारी धन को भी कम करने की वकालत की है। वह मंगलवार को यहां राष्ट्रीय लेखा व लेखा परीक्षा अकादमी के हीरक जयंती समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि...
More »रेड्डी बंधुओं को मिली खनन की अनुमति
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के रेड्डी बंधुओं करूणाकर रेड्डी और जनार्दन रेड्डी को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के अनंतपुर में खनन की इजाजत प्रदान कर दी है। कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा है कि रेड्डी बंधु कनार्टक की सीमा से 150 किलोमीटर तक खनन कर सकते हैं। खनन केवल गैर विवादित क्षेत्र में ही होगा। विवादित क्षेत्र में किसी प्रकार का खनन नहीं होगा। मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन की अध्यक्षता...
More »बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ
कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...
More »डाकिया डाक लाया- रस्किन बांड
देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों और एकांत पहाड़ों पर, जहां ऐसी सड़कें नहीं हैं कि गाड़ियां आ-जा सकें, वहां आज भी डाकिए पैदल चलकर डाक पहुंचाने जाते हैं। वे प्रतिदिन पांच-छह मील पैदल चलते हैं। सच है कि वे पुराने हरकारों की तरह दौड़ते नहीं और रास्ते में कभी-कभार चाय पीने या ताश खेलने के लिए रुक भी जाते हैं, लेकिन ये डाकिए आज भी पुराने जमाने के हरकारों की याद दिलाते हैं। डाकियों ने हमेशा...
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