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छत्तीसगढ़:केंद्र से तालमेल नहीं, राज्य में अल्पसंख्यक अभी भी पिछड़े

रायपुर। अल्पसंख्यकों के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं में राज्य और केंद्र सरकार के बीच बेहतर समन्वय न होने से समुदाय के लोगों जीवन स्तर अभी भी पिछड़ा हुआ है। अल्पसंख्यकों के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, प्रशिक्षण, उत्पादक ऋण के लिए हर साल करोड़ों रुपए फूंका जा रहा है, बावजूद अल्पसंख्यकों को पिछड़ेपन से छुटकारा नहीं मिल पाया है। राजधानी में मुस्लिम और ईसाई परिवारों पर किए गए अध्ययन में पता चला...

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स्कूली शिक्षा में आएगा नया दौर? - डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला

स्कूलों के परीक्षा परिणाम आ चुके हैं। अच्छा परिणाम देने वाले स्कूलों के आकर्षक विज्ञापनों से अखबार भरे पड़े हैं। बेटियां आगे हैं, तो होनहार बेटों की भी कमी नहीं है। कॅरियर की चिंता में बच्चों को लेकर अभिभावक इधर-उधर हो रहे हैं। सरकारी स्कूल अभी सुस्ताने के मूड में हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूल नए शिक्षा सत्र के लिए वंदनवार सजाकर बैठ गए हैं। इन सबके बावजूद शिक्षा के स्तर में...

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श्रम सुधारों की साहसिक पहल

संजय सिंह, नई दिल्ली। अपने कार्यकाल के पहले साल में मोदी सरकार ने श्रम सुधारों के कठिन रास्ते पर आगे बढ़ने का साहसिक प्रयास किया है। लेकिन, कामयाबी इंस्पेक्टर राज के मोर्चे पर ज्यादा मिली है। इस दौरान जहां एक तरफ सरकार ने श्रम संबंधी मसलों को लेकर अपना एजेंडा स्पष्ट किया, वहीं विभिन्न पोर्टलों के जरिये श्रम प्रक्रियाओं को सुविधाजनक व पारदर्शी बनाने में काफी हद तक कामयाबी हासिल...

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बिहार में प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों के लिए वर्ल्ड बैंक देगा 25 करोड़ डॉलर

वाशिंगटन : वर्ल्ड बैंक बिहार में प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों को अधिक योग्य, जवाबदेह एवं जिम्मेदार बनाने में मदद करने के कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार को 25 करोड़ डॉलर का ऋण देने का प्रस्ताव रखेगा. वर्ल्ड बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल द्वारा स्वीकृत यह कार्यक्रम मानव विकास कार्यक्रम का हिस्सा होगा. इस कार्यक्रम के तहत विशेषकर प्राथमिक स्तर के छात्रों के लिए शिक्षा की गुणवत्ता में बड़े स्तर पर...

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'कैम्पस' पर बढ़ रहा है दबाव - रामचंद्र गुहा

कोई एक साल पहले जब स्मृति ईरानी को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया था, तो मैं उनकी नियुक्ति पर नाक-भौं सिकोड़ने वाले लोगों में शामिल नहीं था। मैंने यूपीए सरकार के ऐसे विदेशी डिग्रीधारी एचआरडी मिनिस्टरों को देखा था, जिन्होंने अपने विभागीय दायित्वों में न के बराबर दिलचस्पी दिखाई थी। उनकी तुलना में स्मृति ईरानी कहीं ऊर्जावान और सक्रिय नजर आती थीं। उन्हें देखकर उम्मीद जगती थी कि...

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