नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय जल संसाधन परिषद कल राष्ट्रीय जल नीति-2012 के मसौदे को स्वीकार कर सकती है. यह नीति जल के संदर्भ में एक व्यापक राष्ट्रव्यापी कानूनी संरचना विकसित करने पर जोर देती है. इस मसौदे की घोषणा सरकार ने इस साल जनवरी माह में की थी. राष्ट्रीय जल बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर दो बार इसमें संशोधन भी किए गए. कल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता...
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मंत्रियों के गांवों में स्वास्थ्य सेवा लचर
राज्य सरकार के दो मंत्रियों गृह क्षेत्र के अस्पतालों की हालत खस्ता है. यहां चिकित्सक, कर्मचारी व संसाधनों का घोर अभाव है. सबसे बड़ी समस्या महिला चिकित्सकों की कमी है. मरीजों को आवश्यक दवा भी बाजार से खरीदनी पड़ती है. भवनों की हालत पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण बनी हुई है. बेड का भी अभाव है. सफाई व्यवस्था की हालत भी दयनीय है. चिकित्साकर्मियों को आवास की भी सुविधा नहीं है. ।।ठाकुर संग्राम...
More »पेयजल का 74 फीसदी हिस्सा सीवर का पानी!
आगरा. आगरा और मथुरा के घरों में आ रहे पेयजल का 74 फीसदी हिस्सा सीवर है। इसे साफ कर ‘जहरीला’ पेयजल के रूप में परोसा जा रहा है। सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड से चौंकाने वाली बात सामने आई है। रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले सप्ताह यमुना में दिल्ली चला 101 क्यूसेक पानी मथुरा के...
More »मुनाफे का बढ़ता रोग- अरविन्द कुमार सेन
जनसत्ता 25 अक्टुबर, 2012: जीवनरक्षक दवाओं तक देश के नागरिकों की पहुंच सुनिश्चित करके बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना संवैधानिक दायित्व है और यह लक्ष्य हर मुनाफे से परे है। मद्रास उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी भारत सरकार बनाम नोवार्तिस मामले में की थी। स्विट्जरलैंड की नोवार्तिस दुनिया की पांचवीं बड़ी दवा निर्माता कंपनी है और इसने भारतीय पेटेंट कानून में बदलाव के मसले पर सरकार पर मुकदमा कर रखा...
More »अंगदान और सामाजिक पूर्वग्रह- सुभाष गताडे
जनसत्ता 20 अक्टुबर, 2012: दिल्ली के एक अग्रणी अस्पताल में पिछले दिनों एक अलग किस्म के सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। महज सत्रह साल की उम्र में दुर्घटना की शिकार हुई पायल (बदला हुआ नाम)- जिसे डॉक्टरों ने ब्रेन-डेड घोषित किया था उसके माता-पिता इस समारोह के केंद्र में थे, जिनके बेहद कठिन निर्णय से तीन लोगों की जिंदगी बची और दो लोगों की दृष्टि वापस लौटी। निश्चय ही उनके लिए...
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