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1.61 अरब लोग करते हैं सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल : अध्ययन

वाशिंगटन। एक अध्ययन के मुताबिक इस साल लगभग 1.61 अरब लोगों के सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करने का अनुमान है। शोध संस्थान ई मार्केटर के मुताबिक दुनिया के हर पांचवे व्यक्ति ने इस साल महीने में कम से कम एक बार इसका इस्तेमाल किया। अध्ययन के मुताबिक इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और वर्ष 2017 तक ये संख्या 2.33 अरब तक पहुंचने की...

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रिजर्वबैंक ने ऊंची ब्याज दरों को लिए महंगाई को जिम्मेदार ठहराया

कोलकाता। भारतीय रिजर्व बैंक ने आज ऊंची ब्याज दरों के दौर के लिए मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि इस तरह के परिदृश्य में नीतिगत दरों में कमी करने के बाद भी बैंक घटी दरों का लाभ उपभोक्ता तक नहीं पहुंचा पाएंगे। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के.सी. चक्रवर्ती ने एमसीसी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यदि हम नीतिगत दरों में...

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डेंगू से निपटने की चुनौती- मुकुल श्रीवास्तव

तमाम सरकारी दावों के बावजूद हर साल डेंगू से प्रभावित होने वाले लोगों का आंकड़ा पिछले साल की अपेक्षा बढ़ता जा रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि आधिकारिक आंकड़े वास्तविक आंकड़ों की तुलना में काफी कम होते हैं, क्योंकि इनमें सिर्फ वही मामले गिने जाते हैं, जिसमें मरीज इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पतालों में जाते हैं, और जिनकी पुष्टि सरकारी प्रयोगशालाओं द्वारा होती है। डेंगू मच्छरों द्वारा...

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फैलिन के चलते झारखंड में पांच की मौत, दर्जनों घायल, 2500 मकान ध्वस्त

रांची। झारखंड के विभिन्न इलाकों में फैलिन के चलते पिछले चार दिनों से जारी भारी वर्षा और अंधड़ से बोकारो, हजारीबाग, गुमला, गिरिडीह और साहिबगंज समेत अनेक क्षेत्रों में एक छोटी बच्ची समेत पांच लोगों की मौत हो गई जबकि दर्जनों अन्य घायल हो गए और इस दौरान ढाई हजार से अधिक मकान या तो ध्वस्त हो गए अथवा क्षतिग्रस्त हुए हैं। झारखंड के आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव अरुण...

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कुप्रबंध की संस्कृति- हरिवंश

देश, वाचाल वृत्ति, बौद्धिक विलासिता, पर-उपदेश वगैरह की ‘लचर जीवन संस्कृति’ से नहीं चलता. आज के भारत में सरकार, राजनीति से लेकर समाज स्तर पर यही जीवन संस्कृति है. अमर्त्य सेन जिस ‘आर्ग्यूमेंटेटिव इंडिया’ (बहस में डूबे भारत) की बात करते हैं, उसे जमीन पर देखें-समझें तो बात ज्यादा स्पष्ट और साफ होती है. मूलत: हम बातूनी लोग हैं, बिना कर्म बात-बहस करनेवाले. किसी के बारे में कुछ भी टिप्पणी....

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