जिस व्यक्ति, संस्था या विभाग ने तैयारियों में थोड़ा सा भी योगदान किया था कॉमनवेल्थ खेलों के उद्धाटन समारोह लंबे भाषणों में सबको याद किया गया। क्या किसी को इन भाषणों में उन हजारों मजदूरों के लिए भी आभार का एक शब्द सुनाई दिया जिनकी मेहनत से यह विश्वस्तरीय आयोजन संभव हो सका। शायद यह अनजाने में होने वाली भूल हो या फिर यह भी हो सकता है कि ऐसा करना जरुरी ना लगा हो। वैसे भी,...
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कृषकों को मार्केट से जोड़े सरकार
भोपाल. मप्र राज्य कृषक आयोग ने प्रदेश में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए जैविक कृषि को बढ़ावा देने की अनुशंसा की है। साथ ही कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए उसे सीधे बाजार से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत भी जताई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि खेती की मुख्य समस्या...
More »वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी
विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...
More »पीपीपी से सावधान -योगेश दीवान
भूमंडीलकरण-उदारीकरण के इस काल में अचानक एनजीओ या सिविल सोसाइटी समूहों की बाढ़ आना और वह भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, परिवहन और भोजन के मुद्दों पर थोड़ा शक पैदा करता है. खासकर, डब्ल्यूएसएफ की उस पूरी प्रक्रिया के बाद जो कहता था- “एक और दुनिया संभव है.” WSF इस असंभव को संभव बनाया है पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के उस मॉडल ने, जो न सीधा निजीकरण है न पूंजीवाद और न...
More »हरियाणा और पंजाब से लेना होगा सबक
चंडीगढ़ [भारत डोगरा]। आज से चार-पांच दशक पहले हरित क्रांति के नाम पर भारतीय कृषि में बड़े बदलाव हुए तो इनका सबसे बड़ा केंद्र पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपजाऊ पट्टी को बताया गया, जहां पानी की भी कोई कमी नहीं थी। इस क्षेत्र को भारत के खाद्यान्न कटोरे के रूप में विकसित करने पर बहुत निवेश हुआ और सिंचाई, रासायनिक खाद आदि व इनसे जुड़ी सब्सिडी का अधिकांश खर्च...
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