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क्या हमें पता है कि बीते दो महीनों में हमारे यहां सांपों के काटने से 20 हजार लोग मर चुके हैं

-सत्याग्रह, कुछ बीमारियां तो मौसमी हैं जो खास समय और जलवायु में फैलती हैं. और कुछ कोविड-19 की तरह अचानक ही हमारे सामने आ जाती हैं. लेकिन क्या तमाम मौसमी बीमारियों और कोरोना महामारी के बीच किसी को इस बात की भी सुध है कि बीते दो महीनों में 20 हज़ार से ज्यादा लोग ‘सर्पदंश’ के शिकार होकर हमारे बीच नहीं हैं. पिछले पखवाड़े राजस्थान के बूंदी ज़िले की बालचंदपाड़ा तहसील में...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो किताब रिलीज़ की, उससे संघ परिवार को दिक़्क़त - प्रेस रिव्यू

द टेलिग्राफ़ अख़बार ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि 'जिस किताब को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिलीज़ किया, संघ परिवार उस किताब पर प्रतिबंध लगवाना चाहता है.' रिपोर्ट के अनुसार, इस किताब के कुछ हिस्से 1921 के मालाबार विद्रोह के सबसे प्रमुख नेता वरियामकुन्नाथ कुंजाहम्मद हाजी पर आधारित है जिन्हें दक्षिणपंथी 'हिन्दू विरोधी' बताते हैं. अख़बार ने लिखा है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रकाशित इस किताब से संघ परिवार को...

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एनसीआरबी के आंकड़े: दिहाड़ी मजदूरों की आत्महत्या दर 18 से बढ़कर 24 फीसदी हुई

-गांव कनेक्शन, आखिर क्यों दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या करने के लिए विवश हो रहे हैं? मजदूर दिन रात कड़ी मेहनत तो करते हैं फिर भी उन्हें उनका सही पारिश्रमिक नहीं मिलता। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट कहती है कि भारत में वर्ष 2019 में आत्महत्या करने वाला हर चौथा शख्स दिहाड़ी मज़दूर था। लगभग समस्त आर्थिक कृया कलापों में मज़दूरों का विशेष योगदान होता है। किसी भी प्रकार का उद्योग हो,...

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एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे

एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...

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पिछले दो सालों में कश्मीर के उस सेब उद्योग की कमर टूट गई है जो यहां की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है

-सत्याग्रह, अगर कश्मीर घाटी के पिछले कुछ महीनों के मौसम का हाल एक लाइन में बताना हो तो शायद वह लाइन “मैदानों जैसी गर्मी, बार-बार ओले गिरना, कम बारिश और सर्दियों में ज़्यादा बरफ” होगी. हाल यह है कि इस बार का अगस्त पिछले 40 सालों में सबसे गरम रहा है और यही हाल जुलाई का भी था. इस बार गर्मियों में कश्मीर का अधिकतम तापमान 35.7 तक चला गया था और...

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