नई दिल्ली. पिछले हफ्ते से भारत का कई हिस्सों में मॉनसून की बारिश ने जोर पकड़ा है। महंगाई दर के हाल ही में आए आंकडे भी साल 2012 के बाद के सालों में कम रहे है लेकिन, मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक ये सूखे की हालत में किसी बड़े बदलाव के बड़े संकेत नहीं हैं। हालांकि पिछले महीने जहां देश में 43 फीसदी कम बारिश हुई थी वहीं अब बारिश की...
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गंगा योजना के विरोधाभास- अनिल प्रकाश
जनसत्ता 19 जुलाई, 2014 : केंद्र की नई सरकार के तीन-तीन मंत्रालय गंगा नदी से जुड़ी समस्याओं पर सक्रिय हुए हैं। एक बार पहले भी, राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व-काल में, गंगा सफाई योजना पर बड़े शोर-शराबे के साथ काम शुरू हुआ था। गंगा ऐक्शन प्लान बना। मनमोहन सिंह सरकार ने तो गंगा को राष्ट्रीय नदी ही घोषित कर दिया। मानो पहले यह राष्ट्रीय नदी न रही हो। अब तक लगभग बीस...
More »का वर्षा जब कृषि सुखाने!- प्रकाश कुमार रे
नयी दिल्ली : मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक मॉनसून की वर्षा में दीर्घकालिक औसत की तुलना में 43% कमी रही है. उधर, मौसम का आकलन करनेवाली प्राइवेट संस्था स्काइमेट ने पिछले दिनों आशंका जाहिर की थी कि देश में सूखे की आशंका 60% तक बढ़ गयी है. संस्था ने अप्रैल में इस आशंका को 25} तक रखा था. ऐसे में देश के सामने...
More »सौर ऊर्जा ही बनेगी विकल्प
उत्तर भारत में, खासकर गर्मियों में, बिजली की समस्या काफी गंभीर हो जाती है. राज्यों की विद्युत उत्पादन क्षमता काफी सीमित है. ऐसे में केंद्रीय पूल से निर्धारित किये गए कोटे से ही राज्यों को मिलने वाली बिजली पर संतोष करना पड़ता है. कभी-कभी तो इसमें भी कटौती की जाने लगती है. ऐसे में बिजली कटौती, लोगों का जीना मुहाल कर देती है. ज्यों- ज्यों विज्ञान और प्रौद्योगिकी में तरक्की की...
More »मोटे अनाज की खेती से बहुरे किसानों के दिन
किसानों के लिए वह स्थिति और भी कष्टदायी होती है, जब मॉनसून फेल हो जाने या कम वर्षा होने के कारण वह सही तरीके से धान की फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं. कृषि वैज्ञानिक किसानों को हमेशा यह सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें खेती के दूसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खेती के लिए फसल के दूसरे विकल्पों में मक्का तथा मडुवा के...
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