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साढ़े चार हजार स्कूलों में बच्चे बजाते हैं घंटी!

सीकर. राज्य की साढ़े चार हजार स्कूलों में बच्चे घंटी बजाने और सफाई का कार्य कर रहे हैं। यह स्थिति इसलिए है, क्योंकि प्रदेश की चार हजार 529 माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों में सहायक कर्मचारी का पद स्वीकृत नहीं है। इसी वजह से, सरकारी स्कूलों में घंटी बजाने, स्कूल की सफाई व वजनी सामान उठाने का कार्य बच्चों से कराया जाता है। हालांकि कई स्कूलों में यह कार्य स्कूल विकास समिति के फंड से कर्मचारी...

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बंगाल: भय से ग्रामीणों ने ली स्कूल में शरण

पश्चिमी मेदिनीपुर [जागरण संवाददाता]। पश्चिम मेदिनीपुर जिलांतर्गत नक्सल प्रभावित शालबनी थाना क्षेत्र के कलशीभांगा गांव के निवासियों ने पुलिस एवं सुरक्षा बलों के आतंक से स्थानीय देशबंधु हाईस्कूल में शरण ली है। स्कूल में शरण लिए लोगों का आरोप है कि शनिवार को पुलिस एवं सुरक्षा बलों के जवान कलशीभांगा गए थे और तलाशी के नाम पर कई घरों के दरवाजे तोड़कर लूटपाट की। गांव में मौजूद पुरुषों की बेरहमी से पिटाई करने के...

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बचा लें जल, बचा लें जीवन

आज विश्व जल दिवस है। हर साल यह दिन 22 मार्च को स्वच्छ पानी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इस बार जल दिवस की विषय-वस्तु है, पेय जल की गुणवत्ता। पानी के महत्व का अहसास प्यास लगने पर ही होता है। पानी का कोई विकल्प नहीं है। इसकी एक-एक बूंद अमृत है। विश्वास करें, अगर अमृत है, तो यही है। अत:...

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तिल-तिल मार रहा क्रोमियम

कानपुर [जासं]। शहर में बड़ी आबादी प्रदूषित पानी पी रही है। जूही व नौरेया खेड़ा के भूगर्भ जल में घुला क्रोमियम पनकी तक पहुंच गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जाच में पनकी में डंकन इंडस्ट्रीज के बाहर हैंडपंप में एक लीटर पानी में क्त्रोमियम की मात्रा 0.061 मिली। यह नया इलाका है, जहा पानी में क्रोमियम चिह्नित किया गया है। कई लोग पहुंचे अस्पताल क्रोमियमयुक्त पानी पीने और...

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मौत व कलंक के भय पर सेवा भारी

रांची [नीरज अंबष्ठ]। एड्स! जिसकी परिणति कलंक व निश्चित मौत। पूरे परिवार को बर्बाद कर देने वाली बीमारी। जाने-अनजाने में जिसे हो जाए, उसके अपने ही उससे दूर भागने लगते हैं। कहीं छूने-सटने से उसे भी.। बेघर तक किए जाते हैं। लेकिन एड्स पीड़ितों की सेवा और उनके लिए कुछ करने की उमंग को क्या कहेंगे? सिस्टर प्रमिला कुजूर को न तो मौत से डर है, और न ही कलंक से। एड्स पीड़ितों की सेवा की...

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