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क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...

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नजरिया: गरीब छात्रों की हकमारी न करें

-आउटलुक, “बिना योग्यता के कॉलेज में दाखिला लेना आपको भी दुख देगा और हमेशा आपके ऊपर दबाव बना रहेगा” अभी जेईई-मेन परीक्षा में गड़बड़ी की खबरें आई हैं। कुछ लोग नकल करके, सॉफ्टवेयर को हैक करके ऐसे अयोग्य बच्चों को वहां तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं जिनमें क्षमता नहीं है, काबिलियत नहीं है। मेरा मानना है कि अगर आप पैसे के बल पर, प्रश्नपत्र लीक कराकर या किसी अन्य गलत...

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लखीमपुर घटना पर SKM ने की मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी की मांग, घटना के विरोध में देशव्यापी धरने की कॉल!

-गांव सवेरा, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बीजेपी नेता के बेटे द्वारा गाड़ी से किसानों को रौंदने से हुई चार किसानो की मौत की घटना पर संयुक्त किसान मोर्चा ने इमरजेसी प्रेस कॉफ्रेस बुलाई. प्रेस कॉफ्रेस के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. संयुक्त किसान मोर्चा ने लखीमपुर में 4 किसानों की मौत का दावा किया है. जिसमें दलजीत...

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गाँधीवाद के सही पाठ का सवाल हमारी अस्तित्व-रक्षा से जुड़ा है!

-जनपथ, साम्प्रदायिक एकता गांधीजी के लिए महज एक आदर्श नहीं थी, वह उनकी आत्मा में रची बसी थी। साम्प्रदायिक सद्भाव तथा समरसता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे साम्प्रदायिक हिंसा से आहत थे, व्यथित थे, राष्ट्रध्वज फहराने तथा राष्ट्र के नाम संदेश देने के अनिच्छुक थे और नोआखाली के ग्रामों की संकीर्ण गलियों में अपने प्राणों...

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महामारी के दौरान हमारी सरकार और पुलिसिया बर्ताव

-न्यूजलॉन्ड्री, किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं. कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए भागते लोग, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, लोगों के साथ पुलिसिया बर्ताव और सरकारी विज्ञापनों की तस्वीरों और खबरों ने हमारे जेहन में स्थाई जगहें बनाई. भविष्य में जब भी...

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