कुछ ही दिनों में केंद्र सरकार अपने 100 दिन पूरे करने का जश्न मना रही होगी। तमाम विश्लेषक अपनी तरह से समीक्षा में लग जाएंगे, परंतु अब तक के कार्यकाल में एनडीए सरकार ने अपनी नीति से आने वाले खराब दिनों की तस्वीर दिखाकर किसानों को डराने का ही काम किया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण नई सरकार द्वारा किए गए समर्थन मूल्य की घोषणा है। लोकसभा चुनाव के दौरान...
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कालिख के सौदे पर कड़ा प्रहार - परंजॉय गुहा ठाकुरता
भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्रमल लोढ़ा ने 25 अगस्त को कोयला खदान घोटाले के संबंध में फैसला सुनाते हुए जिस तरह के कठोर शब्दों का उपयोग किया, उसके बाद अगर वर्ष 1993 के बाद से आवंटित सभी 218 खदानों में से अधिकतर को जल्द ही निरस्त कर दिया जाता है तो किसी को हैरत नहीं होनी चाहिए। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण निर्माण क्षेत्र को जरूर कुछ...
More »मध्य वर्ग : सब कुछ है आशियाना नहीं - अभिषेक कुमार सिंह
अक्सर कहा जाता है कि पिछले एक-डेढ़ दशक से देश में मध्य वर्ग का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि सरकार की नीतियों में उसका कहीं कोई प्रतिनिधित्व है। एक मिसाल अफोर्डेबल हाउसिंग जैसे नारे की है, जिसमें निचले तबकों की जरूरतों को तो ध्यान में रखा जा रहा है, लेकिन मध्य वर्ग उसमें कोई जगह नहीं हासिल कर पाया है। नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड...
More »किसानों की कब्रगाह बन रहा है पंजाब-
हरित क्रांति ने भारतीय कृषि की तसवीर बदल दी. एक वक्त था, जब अनाज संकट से निबटने के लिए लाल बहादुर शास्त्री को लोगों से एक जून उपवास रखने की अपील करनी पड़ी थी, वहीं आज देश के गोदाम अनाजों से इतने भरे हैं कि रखने की जगह कम पड़ जाती है. लेकिन, यह बदलाव लानेवाले किसानों का क्या हुआ? आज किसान किस संकट से जूझ रहे हैं, इसे समझने...
More »मुद्दा शिक्षकों को जिम्मेदार बनाने का भी है- मुकुल श्रीवास्तव
निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व के सभी शीर्ष नेताओं ने इसे सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों का हिस्सा बनाया और वर्ष 2015 तक हर बच्चे को प्राइमरी शिक्षा मुहैया कराने का निर्णय लिया। भारत के लिए आज की तारीख में इस लक्ष्य की प्राप्ति सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद असंभव दिखती है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश...
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