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लुटता हिमालय: एक साथ कई चुनौतियों ने बढ़ाई मुश्किलें

डाउन टू अर्थ, 18 फरवरी  शहरीकरण भले ही विकास का एक पैमाना हो, लेकिन इसने हिमालय क्षेत्र को त्रासदी के मुहाने तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) की 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट “द हिंदूकुश हिमालय असेसमेंट : माउंटेंस, क्लाइमेट चेंज, सस्टेनेबििलटी एंड द पीपल” के अनुसार, हिंदू कुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र की सबसे बड़ी आबादी भारत में रहती है। एचकेएच आठ देशों (अफगानिस्तान,...

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विचार: एकजुट होकर ही वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग जीत सकता है दक्षिण एशिया

द थर्ड पोल, 9 फरवरी वायु प्रदूषण पर विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट जारी होने के मौके पर पिछले दिनों नेपाल की राजधानी काठमांडू में एक बैठक हुई। इस अवसर पर, आईसीआईएमओडी के डायरेक्टर जनरल, पेमा ग्यामत्सो ने कहा कि इस कमरे में बैठे वे लोग हाथ उठाएं, जिन्होंने काठमांडू के रास्ते में माउंट एवरेस्ट की चोटी को वाकई में देखा हो।  अफ़सोस की बात यह है कि एक भी व्यक्ति...

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टॉप 1% अमीरों पर उपभोग सेस से कम होगी अमीर-गरीब के बीच की खाई

द क्विंट, 22 जनवरी 2022 की ऑक्सफैम (Oxfam Report) की असमानता रिपोर्ट ने सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. रिपोर्ट ने देश में मौजूद गैर बराबरी की तरफ इशारा करते हुए कहा है कि अमीरों और गरीबों के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है. ‘सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट’ नाम की इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कैसे “2021 में भारत के टॉप 1...

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उत्तराखंड: दरक रहे हैं हिमालय के सैकड़ों गांव

मोंगाबे हिंदी, 09 जनवरी उत्तराखंड के उत्तरकाशी से करीब बीस किलोमीटर दूर कठिन पहाड़ी पर बसा है एक छोटा सा गांव: ढासड़ा। कोई 200 लोगों की आबादी वाला ढासड़ा पिछले कई सालों से लगातार दरक रहा है। हालात ऐसे कि मॉनसून या खराब मौसम में यहां लोग रात को अपने घरों में नहीं सोते बल्कि गांव से कुछ किलोमीटर ऊपर पहाड़ी पर छानियां (प्लास्टिक के अस्थायी टैंट) लगा लेते हैं क्योंकि...

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हाशिए पर रखी गई भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इसकी चुनौतियां!

 गाँव सवेरा, 4 जनवरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी जटिल है। इसमें कृषि के साथ उद्योग और सेवाएं भी हैं। लेकिन वहां ज्यादातर गतिविधियां असंगठित क्षेत्र में होती हैं। इनमें शहरी इलाकों की तुलना में आमदनी कम होती है। यही कारण है कि देश की 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण होने के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में उनका योगदान शहरी क्षेत्रों की तुलना में बहुत कम है। रोजगार के पर्याप्त अवसर न होने के...

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