पिछले वर्षों की तुलना में 2020 के दौरान भारत में आत्महत्याओं की कुल संख्या में वृद्धि हाल ही में सुर्खियों में रही है. जबकि कुछ मीडिया टिप्पणीकारों ने कहा है कि 2020 में आर्थिक संकट (नौकरी छूटने, आय में कमी, व्यवसाय में विफलता और बढ़ती भूख, अन्य कारणों के अलावा) के कारण अधिक आत्महत्याएं हो सकती हैं, अन्य ने कहा है कि घर में अलगाव और बिगड़ती मानसिक स्वास्थ्य स्थिति...
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भारत में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण का शिकार, 17.7 लाख अत्यंत कुपोषित: सरकारी आंकड़े
-द वायर, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में बताया है कि देश में 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं और इनमें से आधे से अधिक अत्यंत कुपोषित की श्रेणी (एसएएम) में आते हैं. कुपोषित बच्चों वाले राज्यों में महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात शीर्ष पर हैं. महिला और बाल विकास मंत्रालय ने निर्धन से निर्धनतम लोगों में कोविड...
More »यूरिया की कीमत 900 डॉलर पर पहुंची, वैश्विक बाजार में लगातार बढ़ रहीं हैं उर्वरकों की कीमतें
-हरवीर सिंह, साल भर के भीतर वैश्विक बाजार में जिस तरह से उर्वरकों और उनके कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है वह सरकार और घरेलू उर्वरक उद्योग दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही हैं। जिस तरह की कीमत वृद्धि डाई अमोनियम फॉसफेट (डीएपी) और म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) में हुई है उसी तरह की कीमत वृद्धि यूरिया की कीमतों में देखने को मिल रही है। देश में आयातित यूरिया...
More »कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है
-द वायर, अभिजीत केरल के तिरुवनंतपुरम में बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे जब बीते वर्ष मार्च में कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी थी, जिसने सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए प्रेरित किया था. लॉकडाउन के चलते अभिजीत अपने घर ग्रामीण पत्तनमतिट्टा जिला लौट आए, जहां उनके माता-पिता एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ रहते हैं. होमोफोबिक रिश्तेदार और चचेरे भाई-बहनों के साथ...
More »क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...
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