सेंट लुईस, [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। आधुनिक तकनीकी के बल पर दुनिया के ज्यादातर देशों ने नई हरित क्रांति का बिगुल फूंक दिया है। कृषि वैज्ञानिकों की मौन लड़ाई खेती पर आने वाली आपदाओं को जीत रही है। नतीजतन, बिना सिंचाई के ही कीटमुक्त पौधों के जरिये फसलों की उत्पादकता को कई गुना तक बढ़ाना संभव हो गया है। भारत जैसे देश की खेती के लिए बायो टेक्नोलॉजी बेहद मुफीद...
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सबकी धरती, सबका हक- प्रियंका दुबे
लापोड़िया और रामगढ़ की कहानी देश में चौतरफा फैले जल संकट का समाधान तो सुझाती ही है, लेकिन उससे भी बढ़कर सामाजिक समानता की नींव पर बने एक प्रगतिशील समाज का सपना भी साकार करती है. रिपोर्ट और फोटो: प्रियंका दुबे ऐसे समय में जब पानी की किल्लत दिल्ली-मुंबई से लेकर जयपुर तक सैकड़ों भारतीय शहरों को सूखे नलों के मकड़जाल और अनंत प्रतीक्षा के रेगिस्तान में तब्दील कर रही है,...
More »दूसरे प्रदेशों को भा रही नालंदा की फूलगोभी
नालंदा की फूलगोभी दूसरे प्रदेशों के लोगों को खूब भा रही है. नालंदा से रोज 60 ट्रक फूलगोभी झारखंड, ओड़िशा, कोलकाता व दिल्ली भेजी जा रही है. केवल बाजार समिति, बिहारशरीफ से पांच-सात ट्रक फूलगोभी रोज भेजी रही है. खास कर यहां की जैविक फूलगोभी की मांग अन्य प्रदेशों में काफी है. जैविक ग्राम सोहडीह से सात ट्रक जैविक फूलगोभी इन प्रदेशों में विशेष मांग पर भेजी जा रही...
More »विज्ञान का लोकतांत्रिक चेहरा- वंदना शिवा
हाल ही में साइंस पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बताया था कि देश में विज्ञान के विकास के लिए दो तकनीकों पर ध्यान देना जरूरी है- पहला कृषि में जीई (जेनेटिक इंजीनियरिंग) बीज और फसल का उपयोग तथा दूसरा परमाणु ऊर्जा। दुर्भाग्य से, हमारी अर्थव्यवस्था की उन्नति के लिए ये दोनों ही तकनीकें खतरनाक हैं। तब प्रधानमंत्री ने गैरसरकारी संगठनों पर भी उंगली उठाते हुए कहा...
More »कृषि के विकास में आड़े आ रहा बैंक ऋण
बेतिया, प्रतिनिधि : जहां एक तरफ सरकार किसानों की तमाम सुविधाओं से परिपूर्ण कर उन्नत खेती करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है, ताकि किसान बेहतर से बेहतर खेती कर अपनी आर्थिक उन्नति कर सकें। लेकिन बैंकों द्वारा किसानों को ऋण देने में नकारात्मक रवैया किसान ही नहीं सभी वर्ग के लोगों के लिए एक अलग समस्या पैदा कर रही है। वित्तीय वर्ष 2011-12 के पिछले 11 माह के...
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