खंडवा। सुमित अवस्थी। कम वजन के बच्चे, खांसी और बुखार से ग्रसित लेकिन डॉक्टरी इलाज की जगह झाड़-फूंक पर भरोसा। किसी बच्चे के गले में लहसुन की माला तो किसी के पीपल के पत्ते। किसी को मतरा हुआ पानी दिया जा रहा है तो कोई नाड़ा बांधे हुए है। पिछले 45 दिन में चार बच्चों की मौत के बाद भी कुपोषित बच्चों को न तो मां-बाप बाल शक्ति केंद्र ला...
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ग्रामीण भारत की थाली से खाना गायब, 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट
बढ़ती महंगाई का असर जितना शहरों में देखने को मिल रहा है उससे भी ज्यादा इसका शिकार ग्रामीण भारत हो रहा है। ग्रामीण भारत की थाली की हालत इतनी चिंताजनक हो चली है कि उसकी थाली में पिछले 40 सालों की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। नेशनल न्यूट्रीशन मॉनीट्रिंग ब्यूरो के एक सर्वे के मुताबिक देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी यानी 84 करोड़ लोगों को ज़रुरत से...
More »देश में कुपोषण की कड़िया--- श्रीशचंद्र मिश्र
ओड़िशा के जाजपुर जिले के एक छोटे-से आदिवासी बहुल गांव में इस साल मार्च से जून के बीच कुपोषण से बारह बच्चों की मौत हो गई। पौने तीन सौ की आबादी वाले इस गांव में पांच से बारह साल के तिरासी बच्चों में एक तिहाई से ज्यादा का कुपोषित होना एक बड़े खतरे की तरफ संकेत करता है। यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। असल स्थिति क्या है, इसका...
More »हमारी अम्मा, दीदी और बहनजी - मृणाल पांडे
हालिया चुनावों के नतीजों के साथ ही दो कद्दावर महिला मुख्यमंत्रियों (जयललिता और ममता बनर्जी) ने तमाम ऐतिहासिक साक्ष्यों को नकारते हुए दोबारा अपनी राजनैतिक ताकत का लोहा मनवा लिया। गुजरात में आनंदीबेन की कुर्सी फिलवक्त तो सुरक्षित लगती ही है। अब यदि उत्तर प्रदेश में भी अगले बरस बहिन मायावतीजी फिर सत्ता में आ जाती हैं, तो देश के चार महत्वपूर्ण राज्यों की कमान ताकतवर महिला मुख्यमंत्रियों के हाथों...
More »सपने दुलारने की बाकी कसक-- अलका कौशिक
औरतों के नाम एक दिन की रिवायत हर साल मज़बूत होती जा रही है। कभी स्कूल-कॉलेज के दिनों में यह दिन सिर्फ एक तारीख भर था जिसे रट लेना होता था आधे-एक नंबर की गारंटी की खातिर! फिर बात आगे बढ़ी, कुछ खेल-तमाशे जुड़ने लगे। लिपस्टिक-बिंदी पर छूट, पार्लरों में आफर, ड्रैस पर पेशकश और साड़ी के साथ कुछ इनाम... खर्रामा-खर्रामा महिला दिवस मनाने का चलन बढ़ता रहा। और इसी...
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