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मनरेगा, जरूरी या मजबूरी-1: 85 फीसदी बढ़ गई काम की मांग

-डाउन टू अर्थ, 14 साल पुरानी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना एक बार फिर चर्चा में है। लगभग हर राज्य में मनरेगा के प्रति ग्रामीणों के साथ-साथ सरकारों का रूझान बढ़ा है। लेकिन क्या यह साबित करता है कि मनरेगा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है या अभी इसमें काफी खामियां हैं। डाउन टू अर्थ ने इसकी व्यापक पड़ताल की है, जिसे एक सीरीज के तौर पर...

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कोविड-19 : 70 रुपए की दवा मिल रही 40 हजार में, मजबूरों को लूट रहीं सरकार और फार्मा कंपनी?

-कारवां,  जिस तेजी के साथ कोरोनावायरस महामारी देश के कोने-कोने फैलती जा रही है उसे देखते हुए कह सकते हैं कि अगले कुछ हफ्तों में भारत को गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. अप्रैल और मई में नरेन्द्र मोदी सरकार की परीक्षण पर प्रतिबंधित की नीति ने महामारी को बढ़ा दिया है और जुलाई आते-आते देश के अस्पतालों को इसका सबसे बुरा प्रकोप झेलना पड़ रहा है. जून में कोरोनोवायरस...

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कोरोना के बाद चीन से एक और महामारी आने वाली है?

-लल्लनटॉप, अभी तक कोरोनावायरस से छुटकारा ही नहीं मिला है, चीन से एक और वायरस आ गया है. और आशंका जताई जा रही है कि ये वायरस कोरोनावायरस की तरह ही संक्रामक है. इस वायरस में भी कोरोना की तरह ही pandemic यानी महामारी बनने की क्षमता है. ये स्वाइन फ़्लू है. नए तरीक़े का. सोमवार को इससे जुड़ी एक रिसर्च प्रकाशित हुई है. दावा किया गया है कि आने वाले भविष्य...

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सोशल मीडिया पर कोरोना का ‘पीक’ आकर जाने की बात पर न करें यकीन, इस वायरस का कोई भरोसा नहीं

द प्रिंट, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राजधानी में कोविड-19 के मामलों की स्थिति पहले से बेहतर है. उन्होंने लोगों से लापरवाही न बरतने की अपील की और कहा कि आने वाले दिनों में कोरोनावायरस कौन सा रूप लेगा ये किसी को नहीं पता. केजरीवाल ने कहा, ‘कुछ जानकार सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि दिल्ली में पीक आकर चला गया है. लेकिन मेरी गुज़ारिश है किसी तरह...

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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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