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देश में चीन के खिलाफ जबर्दस्त उबाल, मगर यहां रहने वाले हजारों चीनी नागरिक बेफिक्र और सहज

-जनज्वार,  ऐसे चीनी प्रवासी, जो घर नहीं लौटे और भारत में रह रहे हैं, उन्होंने संकेत दिया है कि उन्हें यहां किसी भी समस्या का नहीं करना पड़ रहा है सामना और वे अपने देश लौटने के मूड में नहीं हैं...भारत में रह रहे चीनी प्रवासियों पर दोनों देशों के बीच बिगड़ते द्विपक्षीय संबंधों का कोई असर नहीं पड़ा है। उद्योग के सूत्रों का कहना कि उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)...

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मक्का किसानों की मुश्किलें, समर्थन मूल्य से 750 रुपये नीचे भाव पर बेचने को मजबूर

-आउटलुक, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 700 से 750 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर मक्का बेचने को मजबूर किसानों की मुकिश्लें कम नहीं हो रही हैं। मक्का की दैनिक आवक आगे उत्पादक मंडियों में और बढ़ेगी, जबकि पोल्ट्री उद्योग की मांग सामान्य के मुकाबले 25 से 30 फीसदी ही आ रही है। ऐसे में खरीफ सीजन में भी मक्का की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। मक्का कारोबारी राजेश गुप्ता...

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कोरोना वायरस: शहरों के बाद गाँवों में बड़ी चुनौती बन जाएगी

-बीबीसी, भारत में अब तक साढ़े तीन लाख से भी ऊपर कोरोना पॉज़िटिव मामले सामने आ चुके हैं और ग्यारह हज़ार से भी ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं. भारत अब इस महामारी के बहुत ही संवेदनशील चरण में प्रवेश कर चुका है. लाखों की संख्या में महानगरों से देश के ग्रामीण अंचल की ओर लौटे प्रवासी मज़दूरों की मजबूरी ने कोरोना के प्रसार के ख़तरे को भी ग्रामीण भारत की ओर मोड़...

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कोविड ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेला, उनको मदद दिए बिना भारत ‘आत्मनिर्भर’ नहीं बन सकता

-द प्रिंट, भारत में कोरोनावायरस संकट के कारण लागू किए गए लॉकडाउन ने महिलाओं को दशकों पीछे धकेल दिया है. इनमें से ज्यादातर का जीवन कुछ वैसा ही हो गया है जैसा कभी उनकी दादी-नानी का था. वो दिन का ज्यादातर हिस्सा खाना-पकाने, साफ-सफाई करने और घर-परिवार को संभालने में बिता रही हैं. और जो घर से काम कर रही हैं, अगर उनके पास अब भी नौकरी बची है तो, वो...

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कोरोना की मारी दुनिया में रोजगार और उत्पादन का भविष्य

न्यूजलॉन्ड्री,  आज हमारी दुनिया में सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा है. दो हफ्ते पहले मैंने लिखा था कि कोविड-19 के कारण हुए इस आर्थिक विनाश के फलस्वरूप अब कई ऐसी समस्याएं खुलकर सामने आ रही हैं जो अब तक हमारी नजरों से ओझल थीं. मैंने उन प्रवासी मजदूरों की दिल दहला देने वाली हालत के बारे में लिखा था. वे पहले रोजगार की खोज में अपने गांवों को छोड़कर...

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