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दहेज प्रताड़ना के मामले में पति की हो सकती है तुरंत गिरफ्तारी : SC

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न मामले (498 A) के मामले में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया है। इसके तहत कहा गया है कि यदि पुलिस को लगता है, तो वह मामले में पति की तुरंत गिरफ्तारी कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने अपने पुराने फैसले में संशोधन करते हुए कहा है...

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कभी बीड़ी बनाती थी गरीब लड़की, अब बनेगी डॉक्टर

कहते हैं कि अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो राह में आने वाली हर परेशानी हार मान लेती है. कुछ ऐसी ही कहानी है पश्चिम बंगाल की रहने वाली मौसमी खातून की. जिसकी पढ़ाई में तो दिलचस्पी थी, लेकिन पैसों की कमी होने के कारण आगे बढ़ने की राह नहीं मिल रही थी. फिर भी निराश होने की बजाए उसने हिम्मत रखी और मेहनत से पढ़ाई को...

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नई उड़ान को तैयार अल्पसंख्यक- शाहनवाज हुसैन

किसी भी राष्ट्र की तरक्की सीधे-सीधे उसके लोगों, उसकी आबादी की तरक्की से जुड़ी होती है। इसीलिए मोदी सरकार ‘सबका साथ-सबका विकास' के मूलमंत्र को लेकर आगे बढ़ रही है। अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का सर्वांगीण विकास भी देश की इसी यात्रा का एक अहम हिस्सा है। प्रधानमंत्री जो ध्येय लेकर चल रहे हैं, उसका मकसद है- अल्पसंख्यक समुदाय का हर बच्चा शिक्षित हो, हर नौजवान प्रशिक्षित हो, हुनर रोजगार...

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जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट में, पहली बार तीन महिला जज

लंबे इंतज़ार के बाद मंगलवार को देश की सर्वोच्च अदालत में तीन नए जजों की एंट्री हो गई. जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस इंदिरा बनर्जी अब सुप्रीम कोर्ट का हिस्सा हैं. जजों की नियुक्ति के दौरान लगभग लंबे समय तक जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति का मामला सुर्खियों में बना रहा लेकिन इनके बीच एक नाम और है जो भारतीय न्यायव्यवस्था के इतिहास में दर्ज हो गया. यह...

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कोर्ट ही कोर्ट को बचा सकता है-- प्रो. फैजान मुस्तफा

भारत के विधि आयोग की 195वीं रिपोर्ट के आधार पर प्रस्तावित 'जजेज (इन्क्वाॅयरी) बिल, 2006' का उद्देश्य एक ऐसे न्यायिक मंच की स्थापना करना था, जो जजों के विरुद्ध शिकायतों से निबट सके. चार वरिष्ठ जजों का इसका सदस्य होना था. इसके अंतर्गत यह प्रावधान किया गया था कि जिस मामले में महाभियोग की जरूरत न हो, उसमें चेतावनी, परामर्श, फटकार, न्यायिक कार्यों से अलगाव या निजी या सार्वजनिक...

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