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आपदाओं से जूझ रहे हिमालय में तापमान बढ़ने से बिगड़ेंगे हालात, आईपीसीसी की चेतावनी

द थर्ड पोल , 27 मार्च दुनिया के बड़े जलवायु वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट का आख़िरी भाग, आईपीसीसी सिंथेसिस रिपोर्ट, जारी कर दिया है। इसमें क्लाइमेट क्राइसिस यानी जलवायु संकट को लेकर “फाइनल वार्निंग” है। हिंदू कुश हिमालय क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि अगर पहाड़ और हिमनद यानी ग्लेशियर और ज़्यादा गर्म होते...

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आईपीसीसी रिपोर्ट: ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना कैसे हो सकता है संभव

कार्बनकॉपी, 23 मार्च  जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने सोमवार को एक सिंथेसिस रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र के वैज्ञानिकों के इस पैनल द्वारा छठे आकलन चक्र की अंतिम रिपोर्ट है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के भौतिक प्रभावों से काफी नुकसान हो रहा है, जो कुछ मामलों में अपरिवर्तनीय है। रिपोर्ट में इस बात की प्रबल संभावना व्यक्त की गई है कि वैश्विक तापमान वृद्धि को...

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विश्व बैंक ने फंड देने से किया इनकार तो अधर में लटका भारत का तटीय मिशन!

डाउन टू अर्थ, 21 मार्च   भारत सरकार के राष्ट्रीय तटीय मिशन को विश्व बैंक ने पैसा देने से इंकार कर दिया तो सरकार ने इसके बजट में भारी कटौती कर दी और मिशन को 'अधर' में छोड़ दिया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन पर बनी विभाग संबंधित संसदीय समिति ने इस पर एतराज जताया है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मांग अनुदान (2023-24) को लेकर सौंपी गई...

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आईपीसीसी संश्लेषण रिपोर्ट के छह प्रमुख संदेश: 1.5 डिग्री सेल्सियस पर अंतिम चेतावनी जारी

डाउन टू अर्थ, 21 मार्च जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) ने आज यानी 20 मार्च 2023 को अपनी नवीनतम संश्लेषण रिपोर्ट (एसवाईआर) जारी कर दी है। यह रिपोर्ट इससे पहले आईपीसीसी द्वारा जलवायु में होते बदलावों पर जारी की गई छह रिपोर्टों के निष्कर्षों का सार प्रस्तुत करती है, जो छठे मूल्यांकन का हिस्सा है। इस कड़ी में पहली रिपोर्ट 2018 में तापमान पर होती डेढ़ डिग्री सेल्सियस की वृद्धि...

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जलवायु अनुकूलन के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है भारत जैसे देशों में छोटी दूरी के लिए होने वाला प्रवास

डाउन टू अर्थ, 15 मार्च प्रवास को लेकर आम धारणा यह रही है कि ज्यादातर मामलों में लोग इसके लिए एक देश से दूसरे देश या फिर लम्बी यात्रा करते हैं। हालांकि यह सच नहीं है, दुनिया में ज्यादातर प्रवास छोटी दूरी के होते हैं। इस बारे में एक नए अध्ययन से पता चला है कि छोटे दूरी के लिए किए यह प्रवास जलवायु अनुकूलन के दृष्टिकोण से भी काफी मायने रखते...

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