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नई ILO रिपोर्ट: टेक्नोलॉजी आधारित नए डिजिटल श्रम प्लेटफार्म श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं!

वेबआधारित और प्लेटफॉर्म श्रमिकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं हम में से हर एक के जीवन को प्रभावित करती हैं, लेकिन श्रम क्षेत्र को बदलने में डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों की भूमिका के बारे में ऐसी जानकारियां बहुत कम है. ऐसे डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों ने श्रमिकों, व्यवसायों और समाज के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा किए हैं. हालांकि, ये डिजिटल प्लेटफॉर्म उचित काम और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए गंभीर खतरे भी पैदा...

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लेबर कोड के विरोध में ट्रेड यूनियनों का देशव्यापी प्रदर्शन, जंतर-मंतर पर जलाई प्रतियां

-न्यूजक्लिक, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय मंच ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए गए लेबर कोडों के ख़िलाफ़ किया देशव्यापी विरोध प्रदर्शन। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आव्हान पर दिल्ली में भी एक अप्रैल को विवादित लेबर कोड और सरकारी और पब्लिक सेक्टर के निजीकरण, निगमीकरण, रोजगार व असंगठित श्रमिकों पर बढ़ते हमलों, कृषि कानूनों एवं महंगाई के खिलाफ जंतर मंतर नई दिल्ली पर विरोध प्रदर्शन किया और लेबर कोड़ों की...

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प्रदूषण से न नदियां बचीं और न भूजल

-डाउन टू अर्थ, हमारे अहम सतही जलस्रोतों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब इस्तेमाल करने के लायक नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और अलग अलग राज्यों की प्रदूषण निगरानी एजेंसियों के हालिया विश्लेषण ने इसकी पुष्टि की है। साल 2015 में वाटर ऐड की एक रिपोर्ट जारी हुई थी, जो शहरी विकास मंत्रालय, जनगणना 2011 और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर आधारित थी। इस रिपोर्ट में कहा...

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पवन ऊर्जा ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र को 110 मिलियन कारों के धुएं से दी निजात

-जनपथ, क्या आपको पता है एशिया पैसिफिक के जिस क्षेत्र में आप और हम रहते हैं, वहां विंड एनर्जी की मौजूदा उत्पादन क्षमता इतनी है कि अगर उतना बिजली उत्पादन कोयले से हो तो 510 मिलियन टन का कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन होगा? जी हाँ, सही पढ़ा आपने। दूसरे शब्दों में कहें तो बिजली उत्पादन के इस विकल्प के प्रयोग से कार्बन डाइऑक्साइड का उतना उत्सर्जन टाला जा सका जितना 110 मिलियन कारें...

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पंचतत्व: देवास ने मिट्टी से जल संकट का समाधान निकाल कर कैसे बुझायी अपनी प्यास

-जनपथ, मध्य प्रदेश में एक इलाका है मालवा. बेहद संपन्न, बेहद उपजाऊ, पर मालवा का देवास जिला इसकी संपन्नता का ठीक उलट था. वजह- गहरा जल संकट. इस इलाके में जलसंकट सन 2000 वाले दशक में इतना विकट था कि शहर में जलापूर्ति ट्रेनों के जरिये की जाने लगी थी. खेती चौपट हो गई और किसानों को साल भर में महज एक ही फसल मिल रही थी. पानी के संकट ने...

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