-गांव सवेरा, हरियाणा सरकार के सर्वे के अनुसार प्रदेश में 10 हजार ऐसे परिवार हैं जिनके पास मकान बनाने के लिए जमीन तक नहीं है. वहीं 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में कुल बेघर लोगों की संख्या 10 लाख 30 हजार के करीब है, इनमें से अधिकतर बेघर लोग विमुक्त घुमंतू समुदाय से हैं. मकान बनाने के लिए जमीन न होने के कारण आजादी के सात दशक बाद भी डिनोटिफाइड...
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भारत के 25 हाईकोर्ट में पुरुष जज 567 तो महिला जज महज 77
-न्यूजलॉन्ड्री, 15 अगस्त 2018 को लाल किले से भाषण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘‘यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हमारे देश के सुप्रीम कोर्ट में तीन महिला जज बैठी हुई हैं. कोई भी भारत की नारी गर्व कर सकती है कि तीन महिला जज न्याय कर रही हैं.’’ उस समय सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस इंदु मल्होत्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस इंदिरा बनर्जी जज थीं. तीन साल बाद...
More »लोकतंत्र और विशेषाधिकार
-आउटलुक, “नागरिक अधिकारों, स्वतंत्रताओं को सीमित और सत्ता-प्राप्त व्यक्तियों के अधिकारों को व्यापक बनाया जा रहा” यूरोप में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक चेतना का उदय और विकास एक लंबी संघर्ष-प्रक्रिया के दौरान हुआ लेकिन भारत में स्वाधीनता प्राप्ति के बाद लोकतंत्र की राजनीतिक प्रणाली को ऐसे समाज पर थोप दिया गया, जो अभी तक मध्यकालीन मूल्य-व्यवस्था और सामंती चेतना से मुक्त होने के लिए छटपटा रहा था। सामाजिक संरचना की प्राथमिक इकाई परिवार...
More »ओबीसी और दलितों के साथ महज़ सत्ता की साझेदारी उनके आर्थिक उत्थान का विकल्प नहीं है
-द वायर, नरेंद्र मोदी के बड़े स्तर पर कैबिनेट विस्तार के कई सारे मायने निकल कर सामने आते हैं. एक तो ये व्यापक स्तर पर प्रचारित किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री ने पिछड़ी जातियों एवं हाशिए पर पड़े दलित समुदाय के सदस्यों को मंत्री बनाकर इन वर्गों का खास खयाल रखा है. सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के अनुसार मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पिछड़ी जाति के वोटों का काफी फायदा हुआ है, जो...
More »कई अध्ययन लेकिन एक निष्कर्ष - कोरोना लॉकडाउन ने देशव्यापी स्तर पर गरीबों को सबसे अधिक प्रभावित किया
सूखे राशन के प्रावधान के माध्यम से प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, सामुदायिक रसोई चलाने और 'वन नेशन वन राशन कार्ड' योजना के उचित कार्यान्वयन से संबंधित भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले (कृपया यहां और यहां क्लिक करें) हमारे लिए किसी भी तरह से आश्चर्यजनक नहीं है. ज्यां द्रेज और अनमोल सोमांची द्वारा कुछ अध्ययनों की हालिया समीक्षा, जो बहु-राज्य सर्वेक्षणों (या...
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