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मक्का में गिरावट जारी, भाव घटने से किसानों को 20 हजार रुपये प्रति एकड़ का हो रहा नुकसान

रूरल वॉयस, 11 मई मक्का के भाव में गिरावट का रुख लगातार जारी है। रबी सीजन के मक्का की मंडियों में आवक बढ़ने, निर्यात मांग के अभाव और विदेशी बाजारों में दाम घटने से औसतन भाव 1750-1850 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। इसकी वजह से किसानों को पिछले साल की तुलना में 400-500 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान उठाना पड़ रहा है। 2022-23 के लिए सरकार ने मक्के का...

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नैनो यूरिया ट्रायल से खेत तक, भाग-एक: किसानों का क्यों हो रहा मोहभंग?

डाउन टू अर्थ, 9 मई “ वर्ष 2022, नवंबर में कुल 08 हेक्टेयर खेतों में गेहूं की फसल बुआई की थी। बुआई के करीब 20 दिन बाद प्रयोग के तौर पर 4 हेक्टेयर खेत में 500 एमएल वाली 10 नैनो तरल यूरिया की बोतल का छिड़काव  किया। खेतों में इस स्प्रे के लिए कुल 1000 रुपए की अतिरिक्त मजदूरी भी दी। जबकि 4 हेक्टेयर खेत में पहले की तरह पारंपरिक यूरिया...

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सेब के सस्ते आयात पर लगी रोक, न्यूनतम आयात मूल्य 50 रुपये किलो तय, बागवानों को मिलेगी बड़ी राहत

रूरल वॉयस, 9 मई सेब उत्पादकों को राहत देते हुए केंद्र सरकार ने सेब के सस्ते आयात पर रोक लगा दी है। अब 50 रुपये प्रति किलो से कम कीमत वाले सेब का आयात नहीं हो सकेगा। इस फैसले से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर और उत्तराखंड के सेब उत्पादकों को बड़ी राहत मिलेगी। विदेशों से सस्ते आयात के चलते घरेलू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था और वे लंबे समय से...

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खाद्य तेलों के भारी आयात से किसानों का बुरा हाल, सरसों एमएसपी से 1000-1200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बिक रहा

रूरल वॉयस, 07 मई एक तरफ सरकार खाद्य तेलों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाना चाहती है और इसके लिए विशेष सरसों अभियान चला रही है ताकि सरसों का बुवाई रकबा और उत्पादन बढ़े, दूसरी तरफ खाद्य तेलों के बेधड़क आयात की छूट दे रखी है। इससे सरसों किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। देशभर की तमाम मंडियों में सरसों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये...

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हलमा: सामुदायिक भागीदारी से सूखे का हल निकालते झाबुआ के आदिवासी

मोंगाबे हिंदी, 02 मई मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के सूखे पहाड़ गर्मी की शुरुआत में ही आग उगल रहे हैं। साढ़ गांव की बाड़ी बोदरी फलिया की एक बेहद जर्जर झोपड़ी में 12 साल की गली अपने से छोटे दो भाई-बहनों के लिए चूल्हे पर रोटी सेक रही है। गली, संता और केतन के माता-पिता दिवाली पर मजदूरी के लिए गए थे। तब से वापस नहीं लौटे हैं। पड़ोस में...

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