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मानसून की भारी बारिश से डूबे खेत, कीटों के हमले बढ़े- खरीफ की फसल पर पड़ेगा बुरा असर

-द प्रिंट, प्रमुख खरीफ फसलों के रकबे में रिकॉर्ड वृद्धि के बावजूद सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश के कारण सोयाबीन और दलहन के उत्पादन में गिरावट आई है. देशभर में इस सीजन में 6.6 प्रतिशत अधिक मानसूनी बारिश हुई है, जिसमें किसानों ने अपनी खरीफ फसलों को पिछले वर्ष की तुलना में 6.3 प्रतिशत अधिक रकबे में बोया था. अत्यधिक बारिश ने खेत में बाढ़ और जलजमाव की स्थिति ला दी और कीट-पतंगों...

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भारी बारिश बन रही है किसानों के लिए नुकसान का सबब

-डाउन टू अर्थ, बारिश न हो तो किसान को नुकसान होता है और बारिश बहुत ज्यादा हो तो किसान को नुकसान होता है। कुछ ऐसा 2019 में हुआ। 2019 में मॉनसून के बाद अच्छी बारिश हुई थी, इसलिए किसान उम्मीद कर रहे थे कि बंपर पैदावार होगी। लेकिन मार्च से अप्रैल के बीच देशभर में 354 भारी बारिश की घटनाएं हो गईं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, यह बारिश 64.5...

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टिड्डे: दुनिया भर में फ़सल चट कर रहे झुंडों की बारीक़ी से पड़ताल

-बीबीसी, रेगिस्तानी टिड्डों के विशाल हुजूम पूर्वी अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में क़हर बरपा रहे हैं. टिड्डों के विशाल झुंड से फ़सलों को ख़तरा है, लोगों की रोज़ी रोटी को ख़तरा है और खाने पीने की आपूर्ति को नुक़सान पहुंचने का डर है. दुनिया के एक बड़े हिस्से पर टिड्डों का ये हमला पिछले कई दशकों में सबसे बड़ा बताया जा रहा है. लेकिन, जानकारों ने चेतावनी दी है कि...

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मध्य प्रदेश: वादा करके भूली सरकार, किसानों को मूंग और उड़द में 1,500 से 3,000 रुपए प्रति कुंतल का घाटा

-गांव कनेक्शन, तीन जून को मध्य प्रदेश सरकार घोषणा करती है कि प्रदेश में मूंग और उड़द की सरकारी खरीद के लिए चार जून से 15 जून तक रजिस्ट्रेशन होगा। इस घोषणा को किये हुए एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन प्रदेश की मंडियों में एमएसपी पर (न्यूनतम समर्थन मूल्य) उड़द और मूंग की खरीद शुरू नहीं हो पायी है। इससे किसानों को प्रति कुंतल 1,500 से...

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किसानों से ज्यादा निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाले मोदी सरकार के हालिया कृषि अध्यादेश

-कारवां, उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के टोला गांव के रामसेवक चार बीघे के किसान हैं. हाल ही में नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर किए गए खेती से संबंधित पुराने कानून में संशोधन और दो नए कानूनों का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, "हम कानून-आनून नईं जानत, जो कछू जानत हैं, वो इत्तो कि हमाये खेत, हमाई मेहनत, हम का बोएं, का पैदा करें, कोऊ दूसरो कैसे बता सकत!" ठेका...

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