एनडीए सरकार को आसीन हुए लगभग तीन वर्ष व्यतीत हो चुके हैं। विकास दर लगभग 7 प्रतिशत पर शिथिल रही है। आगामी बजट यह तय करेगा कि अगले दो वर्षों में विकास दर इसी प्रकार शिथिल बनी रहेगी अथवा गतिमान हो जायेगी। विकास प्रक्रिया निवेश आधारित होती है। जैसे रिक्शे वाला बचत करके उस रकम का निवेश आटो रिक्शा खरीदने में करे तो उसका आर्थिक विकास होता है। तुलना में...
More »SEARCH RESULT
बजट कोई घटना है या बढ़ना!-- अनिल रघुराज
कासिद के आते-आते खत इक और लिख दूं, मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जवाब में. सायास या अनायास, जो भी मानें, देश में बजट के सालाना अनुष्ठान का आज यही हाल हो गया है. दो दशक पहले तक लोगों को धड़कते दिल से इंतजार रहता था कि वित्त मंत्री क्या-क्या घोषणाएं करनेवाले हैं. इनकम टैक्स में क्या होने जा रहा है. कस्टम और एक्साइज ड्यूटी को लेकर जहां आयातकों...
More »क्यों बढ़ रही है इलाज में लापरवाही-- महेन्द्र अवधेश
ओड़िशा एक बार फिर शर्मसार है। दाना मांझी प्रकरण की कालिख से बदरंग हुआ चेहरा भी राज्य सरकार को सबक नहीं दे सका। बीते अठारह अक्तूबर को राउरकेला जिला अस्पताल में लहुणीपाड़ा निवासी बबलू भूमिज अपनी ढाई साल की बच्ची का शव घर ले जाने के लिए एक अदद एंबुलेंस की खातिर डॉक्टरों की मनुहार करते रहे, लेकिन चौबीस घंटे तक भरसक प्रयास करने के बावजूद वह अंतत: नाकाम रहे।...
More »वन रैंक वन पेंशन: 43 साल पुराने मामले में फंसा है चार अहम पेच
हाल में आइटीबीपी के जवानों के साथ दिवाली मनाते पीएम मोदी ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन को लागू करने के लिए 5,500 करोड़ रुपये की पहली किश्त जारी कर दी गयी है. लेकिन, पूर्व सैनिकों के एक समूह का कहना है कि 'वन रैंक वन पेंशन' योजना में चार प्राथमिक शर्तों को नहीं माना गया है. नोटिफिकेशन में कई त्रुटियां हैं. फिर सरकार ने विसंगतियों के...
More »दलाली ऐसी कि जाती ही नहीं-- अनिल रघुराज
अपने समाज में हर तरफ दलाली का बोलबाला है. जिधर भी देखिये, दलाल ही दलाल. पेशे की दलाली को छोड़ दीजिये. अब तो हर पेशे में दलालों ने ठौर बना लिया है. जो जितना बड़ा दलाल है, वह उतना ही रसूख और दौलत वाला है. लेकिन, किसी को गलती से भी दलाल कह दो, तो उखड़ कर आपको जाने क्या-क्या कह डालता है. कारण, दलाली के लिए छवि का बड़ा...
More »