नई दिल्ली: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा है कि भारतीय लोकतंत्र के विषय में जश्न मनाने के लिए काफी कुछ है लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी या स्पष्ट निष्क्रियता के चलते कई चुनावी सुधार लंबित हैं. कुरैशी ने कहा, ‘हमारी प्रणाली में कुछ त्रुटियों के प्रति सावधान रहना भी आवश्यक है, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुधार की काफी गुंजाइश रहती है.' कुरैशी ने चुनावी लोकतंत्र में भारत के विशिष्ट...
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क्यों नहीं सीख पाते हैं बच्चे-- दिलीप रांजेकर
काफी समय पहले अमेरिका में एक प्रमुख स्कूल द्वारा आयोजित ‘एजुकेशन थिंकटैंक कांफ्रेन्स' में हिस्सा लेने के दौरान मुझे यह समझ आया था कि फिनलैंड और स्वीडन जैसे कुछ देशों को छोड़ दें, तो आम तौर पर पूरी दुनिया स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता के मुद्दे से जूझ रही है। कांफ्रेन्स में 70 देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे और उनमें से अधिकांश अपने देश में शिक्षा की खराब गुणवत्ता का रोना...
More »जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम
हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...
More »तमिलनाडु में महात्मा की चमक-- रामचंद्र गुहा
महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...
More »कैसे कम हो घाटी में बढ़ती कट्टरता- विक्रम सिंह
बीते कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर ने धार्मिक कट्टरता और हिंसक उग्रवाद में काफी वृद्धि देखी है। आतंकी जमातों की स्थानीय भर्ती में तेजी आई है। खासतौर से कश्मीर घाटी में नौजवान आज सैन्य अभियानों को बाधित करने और राज्य-प्रशासन को चुनौती देने के लिए पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय दिखाई देते हैं। थोड़े ही दिन हुए, जब पथराव करने वाली उन्मादी भीड़ ने मुठभेड़ स्थल से आतंकियों को भागने का...
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