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शख्शियत बड़ी या संदेश- राजदीप सरदेसाई

‘क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में चुनाव कैसे होते हैं? पिता के लिए शराब, मां के लिए कपड़े और बच्चे के लिए भोजन।’ ‘आखिर इस देश में क्या भ्रष्ट नहीं है? भारत का केंद्रीय व्यसन या दोष भ्रष्टाचार है; भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी है चुनावी भ्रष्टाचार; और चुनावी भ्रष्टाचार की केंद्रीय धुरी हैं कारोबारी घराने।’ उपरोक्त उक्तियां अन्ना हजारे द्वारा कही गई बातों जैसी लगती हैं। हालांकि ये बातें...

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लोकतंत्र में शॉर्टकट नहीं होता : हर्ष मंदर

वह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण था, जब देशभर के मध्यवर्गीय युवा भ्रष्ट प्रशासन के प्रति आक्रोश व्यक्त करने के लिए एकजुट हुए। हमारा देश कई विरोध प्रदर्शनों का साक्षी रहा है। कुछ हिंसक तो कुछ शांतिपूर्ण। कुछ वेतन व भूमि के लिए तो कुछ आत्मसम्मान व मानवाधिकारों के लिए। लेकिन यह आंदोलन कुछ अलग था। दशकों बाद हमने शिक्षित और संपन्न युवाओं को इतने बड़े पैमाने पर...

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लोकपाल विधेयक- - आर-पार की लड़ाई

बीते महीने शिलांग में हुए सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद यह स्पष्ट हो गया था कि आरटीआई का कानून शासन में पारदर्शिता,जवाबदेही और जनता की भागीदारी की एक नई राह खोल रहा है। और अब ,नागरिक संगठनों द्वारा सरकारी लोकपाल बिल के विकल्प के रुप में जो मसौदा तैयार किया गया है उससे इस बात पर मुहर लग गई है। भ्रष्टाचार निरोधी जन लोकपाल बिल के नाम से...

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उनके किशन जी, मेरे किशन जी, और आपके?- योगेन्द्र यादव

1. मीडिया की दुनिया के लिए किशन जी का मतलब है माओवादियों के भूमिगत नेता किशनजी. 2. कुछ साल पहले तक किशन जी नाम एक दूसरी और बहुत भिन्न छवि से जुड़ा था. 3. कोशिश करें तो बंगाल की खाड़ी की गोद में पले इन दोनों क्रांतिकारियों में कुछ साम्य ढूंढा जा सकता है. इधर जब भी अखबार या टीवी में ’किशन जी’ का जिक्र आता है, मेरे भीतर कुछ होता है. ढांपने...

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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी

विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...

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