कायदे से तो भारत के गांवों में कोई परेशानी ही नहीं होनी चाहिए थी- आखिर कृषियोग्य भूमि के मामले में हमारा देश दुनिया में दूसरे स्थान पर है. लेकिन, उपजाऊ जमीन के एक तिहाई पर ही सिंचाई की सुविधा है, बाकी क्षेत्र बारिश पर निर्भर है. छोटी होती जोत और खेती की बढ़ती लागत से किसान पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है. वित्त वर्ष 2014 से 17 के...
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सुरक्षित निवेश के सिमटते दायरे-- सतीश सिंह
मौद्रिक समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को कम करके पिछले दिनों छह प्रतिशत कर दिया। इसके तुरंत बाद भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खाते में दिए जा रहे ब्याज दर को चार से घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया। दूसरे निजी और सरकारी बैंकों ने भी बचत खाते पर दिए जा रहे ब्याज दर में कटौती की। निजी क्षेत्र के एचडीएफसी और आईसीआईसीआई जैसे दिग्गज बैंकों का नाम भी...
More »आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश
यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...
More »गोरखपुर हादसे से लें सबक-- वरुण गांधी
गोरखपुर के बीआरडी हॉस्पिटल में 7 से 11 अगस्त के बीच साठ बच्चे मर गये. इस झकझोर देनेवाली घटना के लिए कई बातों को जिम्मेदार बताया जा रहा है. खबरों में बताया गया है कि इस अस्पताल में रोजाना इंसेफ्लाइटिलके 200-250 मरीज आ रहे हैं, जिनमें मृत्य दर 7 से 8 फीसदी है. अस्पताल और ऑक्सीजन सप्लायर के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है, इधर राप्ती नदी के तट...
More »बेदम इकाई का निजीकरण ही भला - डॉ. भरत झुनझुनवाला
आखिरकार सरकार ने एअर इंडिया के निजीकरण का निर्णय ले ही लिया। सार्वजनिक इकाइयों के निजीकरण के विरुद्ध पहला तर्क मुनाफाखोरी का दिया जा रहा है। जैसे ब्रिटिश रेल की लाइनों की कंपनियों का निजीकरण कर दिया गया। पाया गया कि रेल सेवा की गुणवत्ता में कमी आई। रेलगाड़ियों ने समय पर चलना बंद कर दिया। सुरक्षा पर खर्च में कटौती हुई, परंतु रेल का किराया नहीं घटा। दक्षिण अमेरिका...
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