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बिहार बाढ़: 'दो किलो चूड़ा पर लोग कितने दिन जिंदा रहेंगे'- ग्राउंड रिपोर्ट

-बीबीसी, जगह- पूर्वी चंपारण में संग्रामपुरब्लॉक का भवानीपुर गाँव बीते 23 जुलाई को गंडक नदी पर बने चंपारण तटबंध का एक बड़ा हिस्सा टूट जाने से इस ब्लॉक के तक़रीबन सात गाँव के सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं. तटबंध टूटने के बाद कई दिनों तक चार-चार फुट पानी में डूबे इन गाँवों से फ़िलहाल तो आधे से ज़्यादा डूब का पानी उतर गया है. लेकिन अब चारों तरफ़ दलदल है. कई जगहों पर अब...

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भारत बीते 50 सालों की सबसे भयावह मानवीय त्रासदी के दौर में प्रवेश कर चुका है

-द वायर, भारत का गरीब और मजदूर वर्ग अब अख़बार के भीतरी पन्नों और टीवी स्क्रीन से गायब हो गया है. ऐसा दिखाने की कोशिश हो रही है कि जब देश में सारी व्यवस्थाएं धीरे-धीरे खुलने लगी हैं और अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट गए हैं, तब भूख और रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो गई है. जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है. सच तो सिर्फ इतना है कि अचानक से थोपे गए...

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मातृ मृत्यु के SDG-3 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमें दक्षिणी राज्यों से सीखने की आवश्यकता है

मातृ मृत्यु अनुपात पर जारी नए विशेष बुलेटिन से पता चलता है कि साल 2014-16 में भारत का मातृ मृत्यु अनुपात (MMRatio) 130 मातृ मृत्यु प्रति एक लाख जीवित जन्म था जोकि साल 2015-17 में घटकर 122 मातृ मृत्यु प्रति एक लाख जीवित जन्म हो गया, और यह साल 2016-18 के दौरान घटकर 113 मातृ मृत्यु प्रति एक लाख जीवित जन्म रह गया है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) के अनुसार, मातृ...

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कोरोना,चीन,इकनॉमी पर क्या बोले मोदी:स्वतंत्रता दिवस भाषण का निचोड़

-द क्विंट, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के गावों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क के विस्तार से लेकर नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन तक का ऐलान किया है. अपनी स्पीच में उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर, कोरोना वैक्सीन और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे मुद्दों का भी जिक्र किया है. PM मोदी की स्पीच की 10 बड़ी बातें सभी 6 लाख से ज्यादा गांवों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचाया...

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ईआईए अधिसूचना का मसौदा किस प्रकार से आदिवासियों और वनवासी समुदायों के अधिकारों से समझौता करना है

-न्यूजक्लिक, जहां एक ओर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 के मसौदा दस्तावेज की आलोचना व्यापार को आसान बनाने के लिए पर्यावरणीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिशों की खातिर की जा रही है, वहीं इन नए प्रावधानों के चलते समाज के कुछ तबकों को इसका सबसे अधिक खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। और वे तबके हैं जंगली इलाकों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति और अन्य पारम्परिक वनवासी समुदाय के लोग। नई अधिसूचना...

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