क्या इस देश को एक नए नारे की जरूरत है? मेरे हिसाब से यह नारा इस तरह हो सकता है-एक विवेकशील भारत। डिजिटल इंडिया और इनोवेटिव इंडिया जैसे नारे तो देश को प्रेरित करते ही रहेंगे, लेकिन इसके समानांतर देश में जो कुछ हो रहा है, उसकी अनदेखी करना बहुत खतरनाक होगा। एक तरफ तो हम लगातार आधुनिकता, विज्ञान और वैश्वीकरण की बातें करते हैं। दूसरी ओर, हमारी जनसंख्या का...
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हरित भारत मिशन से जुड़ेंगे उद्योग
जलवायु परिवर्तन के खतरों से जूझने के लिए पर्यावरण मंत्रालय कई नई पहल पर मंथन कर रहा है। हरित भारत मिशन से कई मंत्रालयों की योजनाओं को जोड़ने के लिए पहल की जा रही है। मनरेगा जैसी महात्वाकांक्षी योजनाओं में इसी अहम भूमिका की संभावनाओं को महसूस कर ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसके लिए काम शुरू कर दिया है। भारत ने पेरिस सम्मलेन को विकासशील देशों पर बंदिशों को थोपने का...
More »सूखे का साया
आखिरकार भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली। उसने इस साल मानसून के कमजोर रहने का अंदेशा जताया था। तब वित्तमंत्री ने कहा था कि घबराने की बात नहीं है, हो सकता है मानसून संबंधी पूर्वानुमान गलत निकले। दरअसल, वित्तमंत्री को बाजार की चिंता सता रही थी और वे निवेशकों को आश्वस्त करना चाहते थे कि सब कुछ ठीकठाक रहेगा। पर अब मौसम संबंधी पूर्वानुमान पहले से कहीं अधिक वैज्ञानिक...
More »भारत में टीकाकरण दरः शहरों से गांव, मुस्लिमों से हिंदू आगे
वाशिंगटन: भारत में शहरों की तुलना में गांवों में बच्चों का टीकाकरण कराने की दर बेहतर है, यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। जबकि इससे पहले हुए अध्ययनों में इसके विपरीत बात निकल कर आई थी। इसके साथ ही इस मामले में मुसलमानों के बजाय हिंदू परिवारों के बच्चे बेहतर स्थिति में हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन (यूएम) द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत में धार्मिक समुदायों के बीच टीकाकरण दर...
More »30 साल के सबसे बड़े सूखे जैसे हालात, घट सकती है GDP की ग्रोथ रेट
नई दिल्ली। अल नीनो की वजह से कमजोर होते मानसून ने देश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में लगातार दूसरे साल फसलों के लिए मौसम प्रतिकूल हो गया है। इसका सीधा असर प्रोडक्शन से लेकर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि करीब 30 साल बाद लगातार दूसरे साल सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इकोनॉमिस्ट के अनुसार अगर स्थिति...
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